धर्म

क्या शिव और भगवान विष्णु की इस संतान के बारे में जानते हैं आप? पुराणों में भी किया गया हैं जिक्र!

India News(इंडिया न्यूज), Shiv-Vishnu Sun: अय्यप्पा भारतीय पौराणिक साहित्य में एक महत्वपूर्ण देवता हैं। वे शिव और विष्णु की संयुक्त संतान माने जाते हैं, और उनकी कथा उनके अद्वितीय माता प्रक्रिया के माध्यम से प्रस्तुत की गई है। अय्यप्पा का पूजन प्रमुख रूप से केरल क्षेत्र में किया जाता है, जहां उन्हें सबरीमाला मंदिर में विशेष रूप से पूजा जाता है। इसके अलावा, वे दक्षिण भारतीय हिंदू धर्म में एक प्रमुख देवता हैं और उनके पास विशेष भक्ति और मान्यताएं हैं।

अय्यप्पा की कथा बहुत ही रोमांचक और उन्हें एक अद्वितीय देवता माना जाता है। वे भगवान शिव और भगवान विष्णु की संयुक्त संतान माने जाते हैं, जिनकी कथा प्रमुखतः दक्षिण भारतीय पौराणिक साहित्य में पाई जाती है।

अय्यप्पा का जन्म था एक अनूठी घटना

अय्यप्पा का जन्म एक अनूठी घटना से हुआ था। एक बार महर्षि दुर्वासा ने भगवान शिव और विष्णु के बीच एक विवाद पैदा किया कि कौन उनमें सबसे महान है। इस विवाद को समाप्त करने के लिए भगवान शिव और विष्णु ने मिलकर एक विशेष रूप धारण किया और अय्यप्पा के रूप में प्रकट हुए। अय्यप्पा ने उस घटना में ब्रह्मचारी (कुमार) रूप में अपना जन्म लिया और उन्होंने धर्म और न्याय की रक्षा के लिए योगदान दिया।

कैसे हुआ था अयप्पा का जन्म?

अयप्पा स्वामी, जिन्हें भगवान अयप्पन के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण भारतीय हिंदू पौराणिक कथाओं में एक महत्वपूर्ण देवता हैं। उनके जन्म की कथा प्रमुख रूप से केरल राज्य के मंदिर सबरीमाला के साथ जुड़ी हुई है। अयप्पा के जन्म की कथा इस प्रकार है:

शिव और मोहिनी: अयप्पा का जन्म भगवान शिव और भगवान विष्णु के मोहिनी अवतार से हुआ था। यह कथा समुद्र मंथन की घटना से जुड़ी है, जब देवताओं और दानवों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र का मंथन किया। अमृत की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी का रूप धारण किया और अमृत देवताओं को बांट दिया। इस समय भगवान शिव मोहिनी के रूप को देखकर मंत्रमुग्ध हो गए और उनसे अयप्पा का जन्म हुआ।

मकरज्योति और सबरीमाला: अयप्पा का पालन-पोषण पंडलम के राजा ने किया था, जिन्हें अयप्पा जंगल में पाए गए थे। उन्होंने एक धर्मात्मा और योद्धा के रूप में अपनी शिक्षा प्राप्त की। बाद में, उन्होंने सबरीमाला के पहाड़ों में निवास किया और वहीं पर उनकी पूजा होती है।

महिषासुर मर्दिनी का वध: अयप्पा का प्रमुख कार्य महिषासुर मर्दिनी, एक राक्षसी जिसे महिषी के नाम से भी जाना जाता है, का वध करना था। यह कार्य उन्होंने बहुत ही साहस और शक्ति के साथ पूरा किया, जिससे देवताओं और भक्तों ने उनकी पूजा शुरू कर दी।

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अयप्पा की पूजा और उपासना केरल के सबरीमाला मंदिर में विशेष रूप से की जाती है, जहाँ हर साल लाखों भक्त उनका दर्शन करने आते हैं। उनकी कथा और उनके गुण भक्तों के लिए प्रेरणादायक हैं और उन्हें धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।

जाने कथा में किया गया वर्णनन

उनकी कथा में यह भी बताया जाता है कि अय्यप्पा के भक्तों के लिए सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी का दिन बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दिन उन्हें विशेष पूजा और अर्चना की जाती है, जिससे उनके भक्तों को सुख, शांति और उनकी कृपा प्राप्त होती है। अय्यप्पा की कथा भारतीय साहित्य में एक महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक कथा है, जो उनके भक्तों के बीच अनेक मान्यताओं और धार्मिक अनुष्ठानों के साथ जुड़ी हुई है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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