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क्या हिंदू धर्म की तरह मुस्लिमों की रूह भी कर सकती है ये चमत्कार? खुद मौलाना ने बताई होश उड़ाने वाली सच्चाई

Prachi Jain • LAST UPDATED : October 22, 2024, 4:44 pm IST

India News (इंडिया न्यूज), Soul Re-Birth In Islaam: मौलाना तारिक जमील द्वारा बताई गई यह शिक्षा इस्लामिक दृष्टिकोण से जुड़ी है, जिसमें कयामत, मौत, और पुनर्जीवन के बारे में बताया गया है। यह शिक्षा इस्लाम की आस्था और विश्वास के महत्वपूर्ण हिस्सों में से एक है, जिसे कयामत या अंतिम दिन के सिद्धांत के रूप में जाना जाता है।

मौलाना तारिक जमील के अनुसार, अल्लाह ने इस दुनिया को बनाया है और वही इसे समाप्त करेगा। जब कयामत का दिन आएगा, तब एक बड़ा धमाका होगा और यह दिन हर जीवित प्राणी के लिए अंतिम दिन होगा। इसके बाद, हर किसी की रूह अल्लाह द्वारा एक विशेष ‘सूर’ (सीप) में रखी जाएगी। यह इस बात को दर्शाता है कि इस्लामिक मान्यताओं में रूह को अमर माना जाता है, यानी रूह कभी मरती नहीं है, बल्कि शरीर के नष्ट होने के बाद भी जीवित रहती है।

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कयामत और पुनर्जीवन की प्रक्रिया:

कयामत का दिन: कयामत के दिन सब कुछ समाप्त हो जाएगा और सभी जीवित प्राणी मर जाएंगे।

रूह का संग्रहण: अल्लाह सबकी रूह को एक ‘सूर’ में रखेगा। इसके बाद एक विशेष प्रक्रिया के माध्यम से पुनर्जीवन होगा।

40 दिन की बारिश: पुनर्जीवन से पहले, अल्लाह 40 दिनों तक लगातार बारिश करेगा। इस बारिश से लोगों की हड्डियां उगाई जाएंगी और उनके शरीर पुनर्निर्मित होंगे।

शरीर का निर्माण: 40 दिनों के अंदर इंसानों, जानवरों और जिन्नों के ढांचे फिर से बनाए जाएंगे।

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रूह का वापस लौटना: अल्लाह एक फूंक मारकर रूह को इन नवनिर्मित शरीरों में वापस डालेगा। रूह इंसानों के शरीर के अंदर जाकर पांव तक पहुंचेगी, और जब रूह पांव को छू लेगी, तब कब्र फटेंगी और लोग जीवित हो उठेंगे।

यह शिक्षा इस्लामिक मान्यताओं में आने वाले दिन, यानी कयामत के प्रति चेतना और आस्था को बढ़ाती है। कयामत का यह सिद्धांत लोगों को अच्छे कर्म करने और अल्लाह की आज्ञा का पालन करने की प्रेरणा देता है, ताकि अंत समय में वे पुनर्जीवन के लिए तैयार रहें और अल्लाह की कृपा प्राप्त कर सकें।

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