India News (इंडिया न्यूज), Draupadi Curse Story: व्यक्ति को कभी भी किसी का अपमान नहीं करना चाहिए क्योंकि जब कोई व्यक्ति किसी का अपमान करता है तो अपमानित व्यक्ति के मन में पीड़ा के कारण नकारात्मक ऊर्जा निकलती है। जब यह ऊर्जा जीवन को प्रभावित करती है तो बुरे दिन शुरू हो जाते हैं। वहीं कई बार ऐसा भी होता है कि व्यक्ति का उद्देश्य किसी का अपमान करना नहीं होता है लेकिन जाने-अनजाने में वह किसी को दुख पहुंचा देता है। महाभारत में भी एक ऐसी ही कथा है।
भीम का पुत्र घटोत्कच राक्षसी हिडिम्बा से पैदा हुआ था, इसलिए घटोत्कच के पास भी जादुई शक्तियाँ थीं। वह एक शक्तिशाली और अद्भुत योद्धा था। अपनी ताकत से वह कौरव सेना को आसानी से हरा सकता था। घटोत्कच को जन्म देने के बाद हिडिम्बा उसे अपने साथ ले गई क्योंकि पांडवों को कौरवों से बदला लेकर अपना लक्ष्य पूरा करना था। यही कारण है कि कुंती ने भीम का विवाह हिडिम्बा से करवाने से पहले एक शर्त रखी थी कि बच्चा होने के बाद हिडिम्बा अपने कुल में वापस चली जाएगी।
घटोत्कच बचपन से ही अपनी माँ के साथ रहता था, इसलिए वह अक्सर अपने पिता के बारे में पूछता रहता था। हिडिम्बा अक्सर घटोत्कच को भीम की बहादुरी की कहानियाँ सुनाती थी। युवा घटोत्कच अपने पिता के साथ नहीं रह सकता। इसके जवाब में हिडिम्बा ने घटोत्कच को कहा कि यहां की रानी द्रौपदी है। द्रौपदी भीम की पत्नी भी है, इसलिए हिडिम्बा को महल में वह स्थान कभी नहीं मिल सकता। यह सुनकर घटोत्कच के मन में द्रौपदी के प्रति नाराजगी पैदा होने लगी।
युद्ध की घोषणा के बाद जब घटोत्कच अपने पिता से मिलने हस्तिनापुर महल पहुंचा तो उसने दरबार में सभी का अभिवादन किया। द्रौपदी भी वहीं खड़ी थी लेकिन घटोत्कच के मन में द्रौपदी के प्रति नाराजगी थी इसलिए वह द्रौपदी को अनदेखा कर आगे बढ़ गया। द्रौपदी ने इस पर मुस्कुराकर जवाब नहीं दिया लेकिन द्रौपदी को इस अनदेखी से ठेस पहुंची। घटोत्कच खुशी-खुशी अपने पिता भीम से मिला और अपनी मां को गर्व भरे शब्दों से खुश करने लगा। घटोत्कच ने अपनी मां हिडिंबा को भीम के लिए सबसे अच्छी महिला बताया और कहा कि हिडिंबा अन्य महिलाओं की तरह कमजोर नहीं है बल्कि भीम जितनी ही मजबूत है इसलिए उन दोनों का बेटा होने के नाते कोई भी घटोत्कच को युद्ध के मैदान में नहीं हरा सकता। इसके अलावा घटोत्कच ने कई अहंकार भरे शब्द भी कहे।
घटोत्कच के मुँह से ऐसे अहंकार भरे शब्द सुनकर द्रौपदी को बहुत दुख हुआ। वह घटोत्कच की बातें सुनकर समझ गई थी कि घटोत्कच ने द्रौपदी को कमज़ोर बताकर उसका मज़ाक उड़ाया है। घटोत्कच की बातें सुनकर द्रौपदी को भी भरी सभा में कौरवों द्वारा अपमानित किए जाने की घटना याद आ गई। इससे द्रौपदी क्रोधित हो गई और उसने घटोत्कच को श्राप दे दिया कि उसे युद्ध के मैदान में अपनी ताकत दिखाने का मौका नहीं मिलेगा, जिस पर उसे इतना गर्व है। वह युद्ध लड़े बिना ही मर जाएगा। द्रौपदी का श्राप सुनकर भीम बहुत दुखी हुए।
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