India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Draupadi In Mahabharat महाभारत की कथाएँ हमेशा से ही रहस्यमय और अद्भुत रही हैं। इनमें छुपे रहस्यों की गहराई न केवल ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ये हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में भी मदद करती हैं। एक ऐसी ही रहस्यमय कथा द्रौपदी और भीम के बीच के एक अप्रत्याशित संघर्ष से संबंधित है, जो द्रौपदी की मां काली के रूप में अद्भुत शक्ति को उजागर करती है।
द्रौपदी की मां काली के रूप में पहचान
महाभारत के एक प्रसंग में द्रौपदी को मां काली के रूप में देखा जाता है, और इस रहस्य का ज्ञात केवल अर्जुन और युधिष्ठिर को ही था। एक दिन अर्जुन, द्रौपदी के कक्ष में उनके पैर दबा रहे थे। अचानक भीम वहां पहुँच गए और अर्जुन और द्रौपदी की इस स्थिति को देखकर वह क्रोधित हो गए। भीम की क्रोध ने उन्हें अर्जुन पर गदा से हमला करने के लिए प्रेरित किया।
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युधिष्ठिर का हस्तक्षेप
भीम के क्रोध को देखकर युधिष्ठिर तुरंत वहां पहुंचे और उन्हें शांत करने का प्रयास किया। युधिष्ठिर ने भीम को बताया कि यह अर्जुन और द्रौपदी के बीच का एक विशेष संबंध है, जिसमें कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। युधिष्ठिर की बातों ने भीम को थोड़ी शांति दी, और वह कक्ष से बाहर चले गए।
सभा में देवताओं की उपस्थिति
भीम ने देखा कि बाहर एक महत्वपूर्ण सभा आयोजित की गई थी। इस सभा में शिवजी, ब्रह्माजी, इंद्रदेव और अन्य देवता उपस्थित थे। भगवान श्री कृष्ण इस सभा को संबोधित कर रहे थे। द्रौपदी वहां मां काली के रूप में प्रकट हुईं, एक हाथ में खप्पर और दूसरे हाथ में कटार लिए हुए। द्रौपदी ने कहा कि माधव (श्री कृष्ण) मेरे सखा हैं और वह मेरा खप्पर भीम के रक्त से और कुरुवंश के रक्त से भरवाएंगे।
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भीम की समझ और श्री कृष्ण की सहायता
इस दृश्य को देखकर भीम समझ गए कि द्रौपदी वास्तव में मां काली का रूप हैं। इस रहस्यमय और भयावह घटना ने भीम को जागरूक किया और उन्होंने समझा कि यह सब किसी महत्वपूर्ण उद्देश्य के लिए हो रहा था। श्री कृष्ण ने द्रौपदी को समझाया और भीम की जान बचाई। यह घटना न केवल द्रौपदी के शक्ति और देवी स्वरूप को प्रदर्शित करती है, बल्कि श्री कृष्ण की कृपा और उनकी भूमिका को भी उजागर करती है।
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