धर्म

द्रौपदी नहीं ये राजकुमारी थी अर्जुन के दिल के सबसे करीब, जाने उनका नाम!

India News(इंडिया न्यूज), Arjuna-Subhadra: यूँ तो महाभारत के महानायक अर्जुन कि कई प्रेम कहानियां रही हैं लेकिन एक प्रेमकहानी ऐसी भी थी जिसके साक्षी खुद भगवन श्री कृष्ण थे। जी हाँ….! महाभारत काल में एक राजकुमारी ऐसी थी जिसपर अर्जुन अपनी जान छिड़कते थे, और वो कोई और नहीं बल्कि कृष्ण और बलराम की बहन सुभद्रा थी जिसे अर्जुन दिलो-जान से चाहते थे वह उन्हें द्रौपदी से भी अधिक प्रिय थी।

सुभद्रा और अर्जुन की प्रेम कहानी महाभारत के प्रसिद्ध कथाओं में से एक है। यह कहानी प्रेम, साहस और रणनीति से भरी हुई है। यहां सुभद्रा और अर्जुन की प्रेम कहानी का सारांश प्रस्तुत है:

पृष्ठभूमि

सुभद्रा, भगवान कृष्ण और बलराम की बहन थीं और यदुवंश की एक राजकुमारी थीं। अर्जुन, पांडवों में से एक, कुरु वंश के महान योद्धा थे। उनकी वीरता और गुणों के कारण अर्जुन ने न केवल अपना नाम कमाया बल्कि कई रानियों के हृदय भी जीते।

प्रारंभ

अर्जुन अपने 12 वर्षीय वनवास के दौरान द्वारका पहुंचे। वहाँ उन्होंने पहली बार सुभद्रा को देखा और उनके सौंदर्य और गुणों से मोहित हो गए। इसी दौरान, सुभद्रा ने भी अर्जुन को देखा और उनके प्रति आकर्षित हो गईं।

प्रेम का आरंभ

भगवान कृष्ण, जो सुभद्रा के बड़े भाई और अर्जुन के मित्र थे, इस प्रेम कहानी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्होंने सुभद्रा और अर्जुन के प्रेम को समझा और उनकी मदद करने का निर्णय लिया। कृष्ण ने अर्जुन को सुझाव दिया कि वे सुभद्रा को स्वयंवर में जीतने के बजाय उनका अपहरण कर लें, क्योंकि बलराम सुभद्रा का विवाह दुर्योधन से कराना चाहते थे।

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सुभद्रा हरण

कृष्ण की सलाह पर, अर्जुन ने रथ में सुभद्रा को बिठाकर उनका अपहरण कर लिया। सुभद्रा ने भी इस योजना में सहमति दी थी। उन्होंने रथ को स्वयं चलाया ताकि यह स्पष्ट हो सके कि वे स्वेच्छा से अर्जुन के साथ जा रही हैं।

बलराम का क्रोध और समझौता

जब बलराम को सुभद्रा के अपहरण की खबर मिली, तो वे क्रोधित हो गए। परंतु भगवान कृष्ण ने अपने बड़े भाई बलराम को शांत किया और उन्हें समझाया कि अर्जुन और सुभद्रा एक दूसरे से प्रेम करते हैं। अंततः, बलराम ने इस विवाह को स्वीकार कर लिया।

विवाह और परिणाम

सुभद्रा और अर्जुन का विवाह धूमधाम से हुआ और वे एक पुत्र अभिमन्यु के माता-पिता बने, जो महाभारत के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

उपसंहार

सुभद्रा और अर्जुन की प्रेम कहानी न केवल महाभारत के कथानक का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, बल्कि यह प्रेम, धैर्य और समझौते की शक्ति को भी दर्शाती है। यह कहानी इस बात का प्रतीक है कि सच्चे प्रेम को पाने के लिए साहस और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है।

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इस प्रकार, सुभद्रा और अर्जुन की प्रेम कहानी महाभारत की गाथा में एक अमूल्य अध्याय है, जो युगों-युगों तक प्रेमियों के लिए प्रेरणास्रोत बनी रहेगी।

डिस्क्लेमर:इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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