India News (इंडिया न्यूज), Dronacharya Death: महाभारत की कहानी में कई रोचक किस्से हैं। महाभारत युद्ध के दौरान एक पिता-पुत्र की जोड़ी थी जिसने पांडवों के खेमे में कोहराम मचा दिया था। ये थे गुरु द्रोणाचार्य और उनके पुत्र अश्वत्थामा। कहा जाता है कि द्रोणाचार्य को मारने के लिए श्री कृष्ण और पांडवों को कूटनीति का सहारा लेना पड़ा था। उन्होंने अश्वत्थामा की मौत की झूठी खबर फैलाकर द्रोणाचार्य को मार डाला। पढ़िए महाभारत की यह अनोखी कहानी।
द्रोणाचार्य महान ऋषि भारद्वाज के पुत्र थे। एक बार घृताची नामक एक सुंदर अप्सरा को देखकर ऋषि भारद्वाज का वीर्यपात हो गया। ऋषि ने अपना वीर्य द्रोण (मिट्टी के बर्तन) में रख लिया। उसी से द्रोणाचार्य का जन्म हुआ। द्रोणाचार्य धनुर्विद्या में निपुण थे। उन्होंने कौरवों और पांडवों को धनुर्विद्या सिखाई थी। वे अर्जुन को सबसे महान धनुर्धर बनाना चाहते थे। अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे। कहा जाता है कि एक बार द्रोणाचार्य और उनकी पत्नी कृपी हिमालय पर गए और भगवान शिव की तपस्या की। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति का आशीर्वाद दिया और फिर अश्वत्थामा का जन्म हुआ। अश्वत्थामा अपने पिता की तरह शास्त्रों और शास्त्र विद्या में निपुण थे।
वैसे तो द्रोणाचार्य कौरवों और पांडवों दोनों के गुरु थे। लेकिन महाभारत युद्ध में उन्होंने हस्तिनापुर की गद्दी संभालते हुए कौरवों की ओर से युद्ध लड़ा था। उन्होंने युद्ध में कई बार कौरव सेना का नेतृत्व भी किया था। द्रोणाचार्य और अश्वत्थामा ने मिलकर पांडव सेना में तबाही मचा दी थी। उन्होंने पांडवों के कई महान योद्धाओं को हराया था।
महाभारत काल में चक्रव्यूह बनाना और तोड़ना बहुत कम लोग जानते थे, उनमें से एक थे द्रोणाचार्य। युद्ध में द्रोणाचार्य ने दुर्योधन के कहने पर चक्रव्यूह की रचना की थी। यह चक्रव्यूह युधिष्ठिर को फंसाने के लिए बनाया गया था, लेकिन अभिमन्यु इसमें फंस गया और कौरवों ने उसे मार डाला।
ये 3 उपाय करने से कभी लौट कर नहीं आयेगा बुरा वक़्त, ऐसी चमकेगी किस्मत खुद हैरान रह जाएंगे आप?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, द्रोणाचार्य को मारने के लिए पांडवों को छल का सहारा लेना पड़ा था। श्री कृष्ण की सलाह पर युधिष्ठिर ने अश्वत्थामा नामक अपने हाथी को मार डाला। फिर उन्होंने यह खबर फैला दी कि अश्वत्थामा मारा गया। द्रोणाचार्य को लगा कि उनका पुत्र अश्वत्थामा नहीं रहा। उन्होंने तुरंत अपने सभी हथियार त्याग दिए। इस अवसर का लाभ उठाकर धृष्टद्युम्न ने द्रोणाचार्य का सिर काटकर उनकी हत्या कर दी।
कहते हैं कि पिता की मृत्यु की खबर सुनकर अश्वत्थामा क्रोधित हो गए। वे बहुत क्रोधित हुए। महाभारत युद्ध में पांडवों ने जीत हासिल की। जब पांडव जीत का जश्न मना रहे थे, तब पांडव उनके शिविर में घुस गए और उत्पात मचाया। अश्वत्थामा ने द्रौपदी के पांचों पुत्रों और धृष्टद्युम्न को सोते समय मार डाला। ऐसा माना जाता है कि इस घटना के कारण अश्वत्थामा को सदियों तक जीने और कष्ट सहने का श्राप मिला था।
Get Current Updates on News India, India News, News India sports, News India Health along with News India Entertainment, India Lok Sabha Election and Headlines from India and around the world.