India News (इंडिया न्यूज़), Garuda Puran Know About Mahapaap: गरुड़ पुराण में भगवान विष्णु ने पक्षीराज गरुड़ को मानव जीवन से जुड़ी कई महत्वपूर्ण बातें बताई हैं। इसमें अच्छे और बुरे कर्मों के परिणाम के बारे में भी बताया गया है। जो लोग बुरे कर्म करते हैं उन्हें मृत्यु के बाद नर्क की पीड़ा भोगनी पड़ती है, वहीं जो लोग अच्छे कर्म करते हैं उन्हें जीवन के अंत में भगवान विष्णु के लोक में स्थान मिलता है। गरुड़ पुराण के अनुसार, 4 तरह के महापाप बताए गए हैं। इसके साथ ही प्रायश्चित की विधि भी बताई गई है। तो यहां जाने गरुड़ पुराण के महापाप कौन से हैं? महापापों के प्रायश्चित की विधि क्या है?
ब्रह्म हत्या को 4 महापापों में सबसे पहले स्थान पर रखा गया है। जो व्यक्ति ब्राह्मण की हत्या करता है, वह ब्रह्म हत्या का दोषी होता है। उसे ब्रह्महंता कहा जाता है।
भारतीय समाज और हिंदू धर्म में शराब पीना भी बहुत बड़ा पाप माना जाता है। गरुड़ पुराण के अनुसार शराब पीने वाले व्यक्ति को शराबी कहा जाता है।
हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार किसी दूसरे व्यक्ति की वस्तु चुराना भी पाप है। ऐसे कर्म नहीं करने चाहिए।
जो व्यक्ति अपने गुरु या शिक्षक की पत्नी के बारे में गलत सोचता है या उनके साथ दुर्व्यवहार करता है, वह भी महापापी माना जाता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, ब्रह्महत्या के दोषी व्यक्ति को जंगल में कुटिया बनाकर 12 साल तक वहीं रहना चाहिए और उपवास करना चाहिए। अगर ब्रह्महत्या का दोषी व्यक्ति गाय या ब्राह्मण की रक्षा करते हुए अपने प्राण त्याग देता है, तो इसे भी पाप से मुक्ति का मार्ग माना जाता है। प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर 3 रात उपवास करने और 3 बार स्नान करने से ब्रह्महत्या से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा रामेश्वरम या शिव की नगरी काशी में स्नान करने से भी पाप से मुक्ति मिलती है।
शराब पीने का पाप करने वाले व्यक्ति को उबलते हुए दूध, घी या गोमूत्र का सेवन करने से इस पाप से मुक्ति मिल जाती है। गुरु की पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करने वाले व्यक्ति को जलती हुई लोहे की महिला की मूर्ति का आलिंगन करना चाहिए। या ब्राह्मण हत्या के पाप से मुक्ति के लिए बताए गए व्रत को करना चाहिए।
इसके अलावा गया जैसे पवित्र तीर्थ स्थानों पर जाकर पूजा करने से भी इस पाप से मुक्ति मिलती है। अमावस्या के दिन भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है। कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि को व्रत रखने और सप्तमी को सूर्य देव की पूजा करने से भी पापों का नाश होता है। शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत रखने और द्वादशी तिथि को भगवान विष्णु की पूजा करने से भी सभी पापों से मुक्ति मिलती है।
जो व्यक्ति गया आदि तीर्थ स्थानों पर श्राद्ध करने के साथ स्नान भी करता है, वह सभी प्रकार के पापों से मुक्त हो जाता है। उसे सभी प्रकार के अच्छे आचरण का फल मिलता है। सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के दिन मंत्र जप, तप, भगवान की पूजा, तीर्थ स्थानों पर जाना, ब्राह्मणों का पूजन आदि करने से भी पापों से मुक्ति मिलती है।
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