India News (इंडिया न्यूज), Navratri Durga Chalisa: नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। यहां पर प्रत्येक नवदुर्गा की चालीसा दी जा रही है:
पर्वतराज हिमालय की पुत्री शैलपुत्री देवी के रूप में मां का प्रथम स्वरूप होता है।
जय शैलपुत्री माँ, जय जय दुर्गे माँ।
कल्याणकारी जगदंबे, जय जय अम्बे माँ॥
पहले पहल आप प्रकट हो, किया आप अद्भुत काम।
शिव से ब्याह रचाया, तब ली यह सजीली सूरत धाम॥
हिमालय पर्वत पर विराजे, जनक तुम्हारे रूप।
सर्वसिद्धि, सुंदरी, मातु, सदा से रहो स्वरूप॥
तुम हो आदि शक्ति जगत की, पालन करती नित्य।
जो कोई तुम्हें सुमिरन करता, प्राप्त करें धन सम्पत्ति॥
ब्रह्मा की उपासक ब्रह्मचारिणी का दूसरा स्वरूप धैर्य और तपस्या का प्रतीक है।
जय ब्रह्मचारिणी माँ, जय जय जगदंबे माँ।
धन ऐश्वर्य प्रदान करो, जगदम्ब भवानी माँ॥
ब्रह्माचारिणी रूप को धारण कर माता।
जो करे तुम्हारी आराधना, मनोकामना पूरी होती॥
तपस्या की धारण धारा, सब पर किया तुमने उपकार।
तुम्हारे व्रत और नियम से, सबका हुआ कल्याण॥
मां दुर्गा का तृतीय स्वरूप चंद्रघंटा शौर्य और वीरता का प्रतीक है।
जय चंद्रघंटा माँ, जय जय माता।
सकल सृष्टि में तुम ही हो जगत विधाता॥
चंद्र की शोभा है माथे पर विराजे।
तीन नेत्रों वाली, तुम सबका भार संभाले॥
करे भक्तों का उद्धार, मातु का तुम करती नित्य।
जो कोई सच्चे मन से पुकारे, उसकी पूरी हो मनोकामना॥
कूष्माण्डा देवी को सृष्टि की आरंभिक शक्ति माना जाता है।
जय माँ कूष्माण्डा, तुम्हारा प्रभाव अनन्त।
सब जगत की उत्पत्ति की, तुम हो शक्ति प्रचण्ड॥
आठों भुजाओं में धारण की, अस्त्र-शस्त्र अनेक।
साक्षात रूप तुम्हारा, भक्तों को लगे भव्य॥
करे जो तुम्हारी आराधना, नित तप व्रत से सदा।
तुम उसकी मनोकामना पूरी कर देती हो, माता॥
मां दुर्गा का पांचवां स्वरूप स्कंदमाता, जो भगवान कार्तिकेय की माता हैं।
जय स्कंदमाता, माँ जय जय जगदंबे।
कार्तिकेय को दिया जन्म, तुम सबका पालन करती॥
संतान की दात्री माता, तुम्हारी महिमा अपरंपार।
जो सच्चे मन से ध्याता, उसका उद्धार होता॥
तुम्हारे आशीर्वाद से, घर में होती सुख-समृद्धि।
जो कोई तुम्हें ध्याता, उसकी हो विपत्ति हर॥
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कात्यायनी देवी, महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रकट हुईं।
जय कात्यायनी माँ, जय जय माँ भवानी।
महिषासुर मर्दिनी, तुम ही हो त्रिपुरारी॥
तप से तुम प्रकट हुई, जगत को दिया सुख।
कात्यायन मुनि की अराधना, कर दी पूरी तुमने॥
तुम हो शक्ति अपार, जो भी तुम्हें पुकारे।
उनकी हर इच्छा पूरी, हो जीवन सुखमय उनके॥
कालरात्रि का स्वरूप विनाशकारी शक्तियों का नाश करने वाली है।
जय कालरात्रि माता, जय जय जगदंबे।
तुम्हारे शरण में आकर, कोई न दुख पावे॥
काले रूप में हो तुम, शक्ति की प्रचण्ड।
जो कोई करे तुम्हें याद, वो हो जाए भवसागर पार॥
सभी विपदाएं हर लो, रक्षा करो माँ।
तुम्हारे आशीर्वाद से हो, सबका कल्याण॥
महागौरी का आठवां स्वरूप पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक है।
जय महागौरी माँ, जय जय भवानी।
धन वैभव की दात्री, हो तुम सबकी रक्षक॥
गौर वर्ण और श्वेत वस्त्र में सजी हो।
तुम्हारी पूजा से मिलते हैं, सुख और समृद्धि॥
सभी भक्तों की हो तुम कृपा, सबका हो कल्याण।
जो सच्चे मन से तुम्हें ध्यावे, उसका पूरा हो अरमान॥
मां सिद्धिदात्री, नवरात्रि के अंतिम दिन पूजी जाने वाली देवी हैं, जो सभी सिद्धियों की दात्री हैं।
जय सिद्धिदात्री माँ, जय जय जगदंबे।
सर्व सिद्धि की दात्री, तुम जगत की पालनकर्ता॥
आठ सिद्धियां दे तुमने, सबका भला कर दिया।
तुम्हारी भक्ति से सबको, हर संकट दूर कर दिया॥
तुम हो सबकी रक्षक, सभी पर करो कृपा।
जो कोई तुम्हें याद करे, उसकी हो मनोकामना पूरी॥
नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की चालीसा का पाठ करने से भक्तों की सभी इच्छाएं पूरी होती हैं और जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति प्राप्त होती है।
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