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महाभारत युद्ध में मृत्यु के 16 साल बाद भी कैसे जिंदा हुए दुर्योधन और कर्ण, जानें क्या था उस चमत्कारी रात का रहस्य?

Preeti Pandey • LAST UPDATED : October 18, 2024, 7:39 am IST

India News (इंडिया न्यूज), Duryodhana and Karna Came Alive: महाभारत युद्ध में कई महान योद्धा थे और इनमें से कई मारे भी गए थे, जिनमें दुर्योधन, कर्ण, अभिमन्यु और भीष्म प्रमुख थे, यह तो हर कोई जानता है, लेकिन क्या आपको ये पता है कि युद्ध के 16 साल पूरे होने के बाद ये सभी योद्धा एक रात के लिए पुनर्जीवित हो गए थे। इस घटना का वर्णन महाभारत के आश्रमवासिक पर्व में मिलता है। आइए जानते हैं महाभारत युद्ध में मारे गए योद्धा कब और कैसे जीवित हुए?

15 साल तक हस्तिनापुर में रहे धृतराष्ट्र

महाभारत युद्ध के बाद युधिष्ठिर हस्तिनापुर के राजा बन गए। उन्होंने अपने सभी भाइयों को अलग-अलग कार्य सौंपे। उन्होंने विदुर, संजय और युयुत्सु को धृतराष्ट्र की सेवा का कार्य सौंपा। युद्ध के बाद धृतराष्ट्र करीब 15 साल तक हस्तिनापुर में रहे। फिर एक दिन धृतराष्ट्र ने वन में जाकर तपस्या करने का विचार किया। धृतराष्ट्र के साथ गांधारी, विदुर, संजय और कुंती भी वन में चले गए।

वन में मां से मिलने आए पांडव

गांधारी, विदुर, संजय और कुंती धृतराष्ट्र के साथ वन में आए और महर्षि वेदव्यास से वनवास की दीक्षा ली और वहीं रहकर तपस्या करने लगे। करीब 1 वर्ष बाद एक दिन युधिष्ठिर अपने भाइयों और द्रौपदी के साथ धृतराष्ट्र, गांधारी और अपनी मां कुंती से मिलने वन में गए। यहां सभी पांडव अपने परिजनों से मिलकर बेहद खुश हुए और एक रात वन में रुके।

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महर्षि वेदव्यास ने दिया वरदान

अगले दिन महर्षि वेदव्यास धृतराष्ट्र के आश्रम में आए। यहां पांडवों को देखकर वे भी बेहद खुश हुए। धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती की तपस्या से प्रसन्न होकर महर्षि वेदव्यास ने उनसे वरदान मांगने को कहा। तब गांधारी ने युद्ध में मारे गए अपने सभी पुत्रों को देखने की इच्छा जताई और कुंती ने कर्ण को देखने की इच्छा जताई। द्रौपदी ने भी अपने मृत पुत्रों से मिलने के लिए महर्षि वेदव्यास से प्रार्थना की। महर्षि वेदव्यास ने उन्हें यह वरदान दिया।

महर्षि वेदव्यास ने दिखाया चमत्कार 

उसी रात महर्षि वेदव्यास सभी को गंगा तट पर ले आए और नदी में प्रवेश किया। इसके बाद उन्होंने पांडव और कौरव पक्ष के सभी मृत योद्धाओं का आह्वान किया। थोड़ी ही देर में भीष्म, द्रोणाचार्य, कर्ण, दुर्योधन, दुशासन, अभिमन्यु, धृतराष्ट्र के सभी पुत्र, घटोत्कच, द्रौपदी के पांचों पुत्र आदि योद्धा गंगा जल से बाहर आ गए। महर्षि वेदव्यास ने धृतराष्ट्र और गांधारी को दिव्य नेत्र दिए ताकि वे अपने पुत्रों को देख सकें।

सुबह सभी योद्धा लोक लौट गए

पांडव, द्रौपदी, कुंती, धृतराष्ट्र और गांधारी अपने मृत परिजनों को देखकर बहुत खुश हुए। वे पूरी रात एक-दूसरे के साथ रहे। प्रातःकाल महर्षि वेदव्यास ने कहा कि ‘जो भी स्त्री अपने पति के लोक में उनके साथ जाना चाहती है, उसे भी गंगा नदी में प्रवेश करना चाहिए।’ बहुत सी स्त्रियाँ उनके साथ अपने पति के लोक में चली गईं। इस प्रकार महाभारत युद्ध में मारे गए सभी योद्धा भी अपने-अपने लोक में चले गए।

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