Dussehra 2021 Ravana is worshiped before auspicious work in Vidisha-Rajgarh
असत्य पर सत्य की जीत का पर्व विजयदशमी मनाया जाता है लेकिन कुछ स्थानों पर रावण और उनके परिवार के किसी न किसी सदस्य को पूजा जाने भी परंपरा है। इसी परंपरा के तहत मध्य प्रदेश के विदिशा और राजगढ़ सहित कुछ अन्य स्थानों पर गांव के लोग आज रावण दहन नहीं बल्कि विशेष रूप से इनकी पूजा अर्चना करते हैं।
विजयदशमी पर रावण दहन की परंपरा चली आ रही है जिसे बुराई के प्रतीक रावण के पुतले को जलाया जाता है। भगवान राम के जयकारों के बीच रावण दहन होता है लेकिन मध्य प्रदेश के विदिशा जिले की नटेरन तहसील में रावण ग्राम है। यहां रावण की विजयदशमी के दिन पूजा होती है। रावण ग्राम में एक लेटी हुई प्रतिमा है जिसे रावण के रूप में पूजा जाता है। इस गांव में कोई भी शुभ कार्य रावण के मंदिर में पूजा के बाद ही शुरू करने की परंपरा है।
विदिशा के गंजबासौदा के पास पलीता गांव हैं जहां मेघनाद बाबा का चबूतरा है। चबूतरा पर एक स्तंभ है जिसे मेघनाद का प्रतीक माना जाता है। इसकी आज के दिन विशेष रूप से पूजा तो होती ही है, साथ ही गांव के लोगों का मानना है कि कोई भी शुभ कार्य शुरू करने के पहले बाबा मेघनाद की पूजा की जाए।
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विदिशा जिले के लटेरी में कालादेव गांव में 20 फीट ऊंची प्रतिमा है जहां छिंदवाड़ा जिले के गोटमार मेले की तरह विजयादशमी गोफन से पत्थरों से हमला किया जाता है। पत्थरों से हमले को राम-रावण की सेना की लड़ाई का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि इसमें कोई भी घायल नहीं होता है। राजगढ़ के भाटखेड़ी में भी रावण की विजयदशमी के दिन पूजा होती है।
(Dussehra 2021)
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