Dussehra 2022: कल दशहरा यानी कि विजयदशमी का पर्व है। दशहरा को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। दशहरा का पर्व लंका पति रावण का वध किए जाने की खुशी के रूप में मनाया जाता है। शास्त्रों के मुताबिक भगवान राम की पूजा करके विजयदशमी का ये पर्व चतुर्दिक विजय दिलाता है। दशहरा के दिन लोग कई सारी जगहों पर रावण का पुतला बनाकर रावण दहन करते हैं।
भगवान विष्णु को लेके प्रचलित है ये मान्यता
आपको बता दें कि दशहरा को लेके ये भी मान्यता है कि भगवान विष्णु ने आज ही के दिन महिषासुर मर्दनी का रूप धारण कर महिषासुर नामक राक्षस का भी वध किया था। दशहरा के दिन रावण के पुतले को जलाकर बुराई का अन्त किया जाता है। नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। नवरात्रि के बाद पूरे देश में दशहरा के पर्व को बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। कई जगहों पर रामलीला का कार्यक्रम भी आयोजित किया जाता है।
दशहरा पर सुबह नीलकंठ पक्षी देखना होता है शुभ
नीलकंठ पक्षी को दशहरा के दिन सुबह-सुबह देखना बहुत ही शुभ माना जाता है। दशहरा के दिन ताबें के लोटे में पानी भरकर उसमें तिल, चावल, जौ और कच्चा दूध मिलाकर के पीपल के पेड़ पर चढ़ाना चाहिए। ये बहुत ही शुभ और फलदायक होता है। इस दिन शाम के वक्त भगवान श्रीराम और हनुमान मंदिर में लाल ध्वज लगाएं। इसके साथ ही शाम को भगवान श्रीराम, हनुमान जी और कालिका देवी के मंदिर में दीपक जलाएं। हनुमान जी के पैर का सिंदूर भी अपने सिर पर लगा लें। दशहरा के दिन शाम में शमी के पेड़ के नीचे तेल का दीपक जलाएं। जिसके बाद अपने घर के बाहर भी याद से दीपक जलाएं।