Dussehra Vijay Dashami 2021 Muhurat in Hindi
मदन गुप्ता सपाटू ज्योतिर्विद
आश्विन शुक्ल दशमी के दिन मनाया जाने वाला विजयादशमी का पर्व वर्षा ऋतु के समापन तथा शरद के आरंभ का सूचक है। यह क्षत्रियों का भी बड़ा पर्व है। ब्राहमण सरस्वती पूजन और क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं। इस दिन तारा उदय होने का समय विजयकाल कहलाता है। यह मुहूर्त सब कामों को सिद्ध करता है।
सायंकाल अपराजिता पूजन, भगवान राम, शिव,शक्ति ,गणेश , सूर्यादि देवताओं का पूजन करके आयुध, अस्त्र शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए। इस साल दशहरा 15 अक्टूबर 2021, शुक्रवार को मनाया जाएगा। दशहरा दिवाली से ठीक 20 दिन पहले आता है। नवमी तिथि 14 अक्टूबर को मनाई जाएगी। नवमी तिथि के बाद दशमी को विजयादशमी का त्योहार मनाया जाता है।
वैसे अपराहंकाल, विजया यात्रा का मुहूर्त माना गया है। दुर्गा विसर्जन, अपराजिता पूजन, विजय प्रयाण, शमी पूजन तथा नवरात्रि समापन का दिन है दशहरा।15 अक्तूबर को सूर्यास्त सायंकाल 17.50 पर होगा। इससे पूर्व ही रावण दहन तथा सरस्वती विसर्जन किया जाना चाहिए ।
विजयदशमी हर साल बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। विजय दशमी का पर्व आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी की तिथि को मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने अहंकारी रावण का वध कर धरती को उसके प्रकोप से बचाया था।
यह राक्षस पर देवी दुर्गा की विजय के जश्न के रूप में भी मनाया जाता है। दशहरा का पर्व अवगुणों को त्याग कर श्रेष्ठ गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है। इसी कारण इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है।
अश्विन मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथि शुरू 14 अक्टूबर 2021 को शाम 6 बजकर 52 मिनट से
अश्विन मास शुक्ल पक्ष तिथि समाप्त 15 अक्टूबर 2021 शाम 6 बजकर 2 मिनट पर
15 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से 02 बजकर 48 मिनट तक
कैसे करें पूजा
यों तो पूरा दिन ही शुभ है परंतु विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 02 मिनट से 02 बजकर 48 मिनट तक विशेष शुभ माना गया है।
प्रात: काल, ईशान दिशा में शुद्ध भूमि पर चंदन, कुमकुम आदि से अष्टदल बनाएं और पूर्ण शोडषोपचार सहित अपराजिता देवी के साथ साथ जया तथा विजया देवियों की भी पूजा करें। अक्षत अर्पित करते हुए
ओम् अपराजितायै नम:, ओम् क्रियाशक्तौ नम: तथा ओम् उमायै नम:
मंत्रों की एक एक माला करें ।
प्रथम नवरात्रि पर बीजी गई जोै अर्थात खेतरी को तोड़कर पूजा के थाल में रखें और पूजा के बाद घर व दूकान के मंदिर तथा धन स्थान के अलावा पाठ्य पुस्तकों , एकाउंट्स बुक्स आदि में भी में रखें। इस दिन कलम पूजन भी किया जाता है।
दशहरे पर फलों में सेब, अनार तथा ईख-गन्ने घर में अवश्य लाने चाहिए। गन्ना प्राकृतिक मधुरता, उंचापन तथा हरियाली दशार्ता है जो हर परिवार की आज आवश्यकता है। इसलिए पूजा सामग्री में ईख जरुर रखें ।
इस दिन आप कोई भी शुभ कार्य आरंभ कर सकते हैं। गृह प्रवेश, वाहन या भवन क्रय, नये व्यवसाय का शुभारंभ, मंगनी, विवाह, एग्रीमेंट आदि। इस दिन खासकर खरीददारी करना शुभ माना जाता है जिसमें सोना, चांदी और वाहन की खरीदी बहुत ही महत्वपूर्ण है।
दशहरे का दिन साल के सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। यह साढ़े तीन मुहूर्त में से एक है (साल का सबसे शुभ मुहूर्त – चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्विन शुक्ल दशमी, वैशाख शुक्ल तृतीया, एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (आधा मुहूर्त))। यह अवधि किसी भी चीज की शुरूआत करने के लिए उत्तम है। हालाँकि कुछ निश्चित मुहूर्त किसी विशेष पूजा के लिए भी हो सकते हैं।
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