धर्म

Ramayan में गुमनाम रहीं ये 3 बहनें…इतनी पावरफुल कि हैरान कर देंगे किस्से

India News(इंडिया न्यूज), Facts About Ramayana: भारत के सबसे महान और प्रभावशाली धार्मिक ग्रंथों में से एक रामायण का नाम आते ही हमारे मन में राम, सीता, लक्ष्मण, हनुमान और रावण की छवियाँ उभर जाती हैं। हालांकि, बहुत कम लोग जानते हैं कि सीता के जीवन में कुछ अन्य महत्वपूर्ण पात्र भी थे, जिनमें उनकी बहनें शामिल थीं। हाल ही में, रामानंद सागर की रामायण के प्रसारण के दौरान सीता का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री दीपिका चिखलिया द्वारा इंस्टाग्राम पर शेयर की गई एक थ्रोबैक तस्वीर ने इस बारे में और भी अधिक चर्चा पैदा की है। इस तस्वीर में सीता को अपनी बहनों के साथ दिखाया गया है, और यह पल रामायण के उन अद्भुत और दिल छूने वाले क्षणों को फिर से जीवित कर रहा है।

आइए, इस लेख के माध्यम से हम रामायण की सीता और उनकी बहनों के बारे में विस्तार से जानें, और समझें कि उनके पात्र और उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाएँ धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से क्यों मायने रखती हैं।

सीता की बहनें: उर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति

वालेरामायण के अनुसार, सीता के जीवन में तीन छोटी बहनें थीं। ये बहनें सीता के साथ ही रामायण के कथानक में एक अहम स्थान रखती हैं। इन बहनों के विवाहों और उनके जीवन के अन्य पहलुओं ने रामायण के कथा-संदर्भ को और भी गहरे अर्थ दिए हैं।

1. उर्मिला – लक्ष्मण की पत्नी

उर्मिला सीता की सगी बहन थीं, और उनका विवाह राम के छोटे भाई लक्ष्मण से हुआ था। जब राम और लक्ष्मण को वनवास मिला, तो उर्मिला ने भी अपने पति के साथ वन जाने की इच्छा जताई थी, लेकिन लक्ष्मण ने उन्हें रोक लिया। लक्ष्मण का कहना था कि अयोध्या के राज्य को और माताओं को उनकी आवश्यकता है, और वे नहीं चाहते थे कि उर्मिला भी इस कठिन वनवास का हिस्सा बने।

उर्मिला का जीवन पूरी तरह से अपने पति के प्रति समर्पित था। वह एक आदर्श पतिव्रता थीं। खास बात यह थी कि जब लक्ष्मण अपने 14 वर्षों के वनवास के दौरान लगातार जागते रहे और सो नहीं पाए, तब उर्मिला ने लक्ष्मण के हिस्से की नींद सोकर उनका पुण्य भरा। उनकी यह त्याग भावना और समर्पण की कथा रामायण की एक महत्वपूर्ण शिक्षा है। उर्मिला के दो पुत्र थे – अंगद और चंद्रकेतु, जिन्होंने भारतीय संस्कृति में महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया।

2. मांडवी – भरत की पत्नी

मांडवी, सीता की चचेरी बहन थीं। उनका विवाह राजा दशरथ के दूसरे पुत्र, भरत से हुआ था। मांडवी एक बहुत ही धार्मिक और मर्यादित स्त्री थीं, और उन्होंने हमेशा अपने पति भरत का सम्मान किया। भरत, राम के चरण पादुका लेकर अयोध्या के सिंहासन पर बैठते थे और नंदीग्राम में रहते हुए राम के आदर्शों का पालन करते थे। मांडवी ने हमेशा अपने पति के कार्यों में सहयोग किया और उनकी दी गई मर्यादा को निभाया। मांडवी के दो पुत्र थे – तक्ष और पुष्कल, जो बाद में अयोध्या के प्रसिद्ध शासक बने।

3. श्रुतकीर्ति – शत्रुघ्न की पत्नी

श्रुतकीर्ति, सीता की चचेरी बहन थीं, और उनका विवाह भगवान राम के छोटे भाई शत्रुघ्न से हुआ था। श्रुतकीर्ति का जीवन भी पूरी तरह से मर्यादा और धर्म के सिद्धांतों के अनुसार था। उनके दो पुत्र थे – शत्रुघति और सुबाहु। श्रुतकीर्ति का जीवन पवित्रता, कर्तव्य और निष्ठा का प्रतीक था।

सीता और उनकी बहनों की भूमिका

रामायण के कथा में सीता और उनकी बहनों की भूमिकाएँ बहुत महत्वपूर्ण हैं। जहाँ सीता आदर्श पत्नी और धार्मिक महिला के रूप में दिखती हैं, वहीं उनकी बहनें भी अपने-अपने जीवन में नायक रूप में दिखाई जाती हैं। वे हर एक परिस्थिति में अपने कर्तव्यों का पालन करती हैं और अपने पतियों के साथ आदर्श जीवन जीती हैं।

इन बहनों के विवाहों से भी यह स्पष्ट होता है कि परिवार में रिश्तों का अत्यधिक सम्मान किया जाता था, और प्रत्येक स्त्री का आदर्श यह था कि वह अपने कर्तव्यों का पालन करें, चाहे वह घर हो या राज्य। उर्मिला, मांडवी और श्रुतकीर्ति ने न केवल अपने पतियों के साथ अपने कर्तव्यों का पालन किया, बल्कि वे अपने परिवार के लिए बलिदान देने में भी पीछे नहीं रहीं।

रामायण और ‘सीता की बहनों’ की लोकप्रियता

आजकल, रामायण के प्रसारण के दौरान इन बहनों की भूमिका को न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जा रहा है, बल्कि उन्हें एक प्रेरणा के रूप में भी स्वीकार किया जा रहा है। दीपिका चिखलिया द्वारा साझा की गई तस्वीर ने इन पात्रों को फिर से जीवित किया है, और सोशल मीडिया पर इन बहनों के प्रति प्यार और सम्मान का एक नया दौर शुरू हुआ है। इन बहनों के योगदान को इस नए डिजिटल युग में सराहा जा रहा है, जहाँ पुराने समय के पात्रों की बातें फिर से चर्चा में आ रही हैं।

सीता और उनकी बहनें न केवल रामायण के महत्वपूर्ण पात्र हैं, बल्कि वे भारतीय संस्कृति, परिवारिक मूल्यों, और स्त्री शक्ति का प्रतीक भी हैं। इनके जीवन से हम यह सिख सकते हैं कि आत्म-निवेदन, समर्पण, और कर्तव्य के प्रति निष्ठा कितनी महत्वपूर्ण है। रामायण के प्रसारण ने हमें इन आदर्श पात्रों को फिर से याद दिलाया है और हमें यह समझने का अवसर दिया है कि उनकी जीवन-शैली और त्याग आज भी हमारे लिए एक अमूल्य धरोहर हैं।

Prachi Jain

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