धर्म

एक ऐसा फूल जिसे खुद इंद्रदेव लाए थे स्वर्ग से धरती पर, आज भी है धरती का वासी!

India News (इंडिया न्यूज), Parijaat Flower: हमारे पास इतिहास के इतने पन्ने हैं जिन्हे शायद हम अबतक पूरे पढ़ भी नहीं पाए हैं। और कई तो अभी खुलने भी बाकि हैं तो वही कई हमारी आँखों से अबतक दूर ही हैं। अजर एक पन्ना हम हम आपकी आँखों के आगे खोल देते हैं चलिए आज एक हम आपको एक ऐसे फूल के बारे में बताने जा रहे हैं जो सीधा स्वर्ग से धरती पर लाया गया था। इस फूल को “पारिजात” या “हरसिंगार” के नाम से जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह फूल स्वर्ग से धरती पर लाया गया था और इसके साथ कई कहानियाँ जुड़ी हैं।

एक कथा के अनुसार, पारिजात का वृक्ष इंद्रदेव द्वारा स्वर्ग से लाया गया था और उसे धरती पर रोपा गया। यह वृक्ष आज भी भारत में पाया जाता है और इसके फूलों की खुशबू और सुंदरता अद्वितीय है। पारिजात के फूल रात में खिलते हैं और सुबह होते-होते झर जाते हैं, इसलिए इसे “रात की रानी” भी कहा जाता है।

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इसके अलावा, पारिजात के फूलों का आयुर्वेदिक महत्व भी है और इनका उपयोग विभिन्न औषधियों में किया जाता है।

ये हैं इस फूल की पौराणिक कथाएं

पारिजात और कृष्ण

पारिजात के वृक्ष की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी। यह वृक्ष देवताओं को मिला और इंद्रदेव इसे स्वर्ग ले गए। लेकिन बाद में यह वृक्ष भगवान कृष्ण और उनकी पत्नियों, सत्यभामा और रुक्मिणी, के बीच विवाद का कारण बना।

कथा के अनुसार, एक बार सत्यभामा ने पारिजात के फूल को देख कर उसकी सुंदरता और खुशबू पर मुग्ध हो गईं और कृष्ण से इसे स्वर्ग से धरती पर लाने की इच्छा व्यक्त की। कृष्ण ने उनकी इच्छा पूरी की और पारिजात के वृक्ष को स्वर्ग से धरती पर लाया।

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स्वर्ग के राजा इंद्रदेव ने इस पर आपत्ति जताई, लेकिन कृष्ण ने इस वृक्ष को अपनी पत्नी सत्यभामा को उपहार स्वरूप दिया। सत्यभामा ने इस वृक्ष को अपने बगीचे में लगाया, जहां यह हर रात अद्वितीय फूलों से खिलता है।

इस वृक्ष का एक विशेष गुण यह है कि इसके फूल रात में खिलते हैं और सुबह होते ही झर जाते हैं। पारिजात के फूलों की सुंदरता और खुशबू से पूरी बगिया महक उठती है।

इस तरह, पारिजात का वृक्ष न केवल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसके पीछे की पौराणिक कथा भी इसे विशेष बनाती है।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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