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अपने बच्चों के लिए Ravan ने Shanidev को जाल में फंसाया, हमेशा के लिए बदल गई इंसानों की किस्मत

Babli • LAST UPDATED : July 15, 2024, 1:43 pm IST

India News (इंडिया न्यूज़), Shani Dev: क्या आपको पता है की जिनकी दृष्टी से सभी डरते है वह शनिदेव भी किसी की केद में बंद रहे है। शनिदेव की दृष्टी जिस पर पड़ जाए उसकी उल्टी गिनती शुरू हो जाती है। वही शनिदेव किसी के गुलाम बनके भी रहे है। जी हां हम यहां पर बात कर रहे है लंकेश्वर रावण की। बता दे की दस सर वाले दशानन रावण ने शनिदेव को एक समय पर अपनी केद में रखा था। रावण ज्योतिष शास्त्र का विद्वानी था। उसने शनिदेव को अपनी विघा से अपनी केद में बंद कर लिया था। रावण शनिदेव के साथ बहुत ही क्रूरता से बरताव करता था। इसी वजह से शनिदेव की चाल टेढ़ी और धीमी पड़ गई। चलिए हम आपको बताते है की वह कौनसा कारण था जिस वजह से रावण ने शानिदेव को अपनी केद मे बंद कर लिया था।

  • इस वजह से शनिदेव बने कैदी
  • किसने निकाला शनिदेव को रावण की केद से

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इस वजह से शनिदेव बने कैदी

दशानन रावण किसी से भी नही डरता था यानि वो बिल्कुल निडर था। रावण चहता था की उसकी संतान को लंबी उम्र का आशीर्वाद मिले और वह अजेय बने। इसी वजह से रावण ने अपने पुत्र मेघनाथ के जन्म के समय सारे नौ ग्रहों को अपनी ज्योतिष शास्त्र की विघा से अपने महल में केद कर लिया था ताकि उसके पुत्र पर हानिकारक प्रभाव ना पड़ सके।

कुछ ऐसा ही रावण ने अपने दूसरे पुत्र इंद्रजीत के जन्म के समय चाहा था लेकिन शानिदेव रावण के वश में नही आ रहे थे। शानिदेव ने इंद्रजीत के जन्म पर अपना दृष्टी टेढ़ी कर ली जिस वजह से इंद्रजीत की अल्पायु हो गई। जिसके कारण इंद्रजीत कम उम्र में ही भगवान लक्ष्मण के हाथों मारा गया। इस पर रावण ने क्रोध में आकर शानिदेव को अपनी केद मे बंद कर लिया। इसके साथ रावण ने शनिदेव पर अपनी तलवार से भी हमला कर उनका पैर तोड़ दिया था जिस वजह से शनिदेव की चाल टेढ़ी और धीमी पड़ गई।

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किसने निकाला शनिदेव को रावण की केद से

पौराणिक कथा के अनुसार रावण ने अपनी शक्तियों से शनि को वश में कर लिया था। रावण शनिदेव को अपने पैरों के नीचे, सिंहासन के पास रखता था। बाद में रावण ने शनिदेव को करागार में बंद कर दिया और वहां पर एक शिवलिंग स्थापित कर दिया ताकि शनिदेव इसे लांघकर कभी भाग न पाए। हनुमान जी ने शनिदाव को रावण की केद से आजाद किया था। हनुमान जी जब श्री राम का सेंदश लेकर माता सिता के पास लंका पहुंचे थे तब उन्होनें शनिदेव को केद से निकाला था। हनुमान जी शनिदेव को अपने कंधे पर बैठाकर वहां से निकाला था।

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