India News (इंडिया न्यूज), Stories of Ramayan to Mahabharat: हिंदू धर्म में चिरंजीवी वे होते हैं जो इस पृथ्वी पर अनंत काल तक जीवित रहने का वरदान प्राप्त करते हैं। इनकी गाथाएं न केवल हमारे पौराणिक ग्रंथों में वर्णित हैं, बल्कि इनके जीवन से जुड़े शिक्षाएं और आदर्श आज भी प्रासंगिक हैं। आइए जानते हैं कलयुग में माने गए सात चिरंजीवी देव पुरुषों के बारे में:
Stories of Ramayan to Mahabharat: रामायण से लेकर महाभारत तक आज भी कलियुग में जीवित है ये 7 लोग
हनुमान जी, जिन्हें बजरंगबली के नाम से भी जाना जाता है, को अजर-अमर का आशीर्वाद प्राप्त है। त्रेता युग में भगवान श्रीराम के अनन्य भक्त के रूप में प्रसिद्ध हनुमान जी का महाभारत काल में भी उल्लेख मिलता है। हनुमान जी आज भी धरती पर विद्यमान माने जाते हैं और कलयुग के प्रमुख देवता माने जाते हैं। उनकी भक्ति, शक्ति और सेवा भावना के कारण वे हमारे आराध्य बने हुए हैं।
कृपाचार्य, कौरवों के कुलगुरु और अश्वत्थामा के मामा थे। वे महाभारत के प्रमुख पात्रों में से एक हैं और चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है। कृपाचार्य अपनी विद्वता और आध्यात्मिक ज्ञान के लिए जाने जाते हैं। उनका जीवन हमें धर्म और न्याय के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।
महर्षि व्यास को वेदों के रचयिता और महाभारत के रचयिता के रूप में जाना जाता है। वे ऋषि पराशर और माता सत्यवती के पुत्र थे। महर्षि व्यास को चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है। उनकी गाथाएं हमें यह सिखाती हैं कि ज्ञान और सृजन का महत्व अमर होता है।
द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को भगवान श्रीकृष्ण ने दुनिया के अंत तक जीवित रहने का श्राप दिया था। उनकी अमरता एक श्राप के रूप में है, और उनके जीवन का उद्देश्य मानवता को अहंकार और अधर्म से बचने का संदेश देना है।
असुर राज बलि, जो भगवान विष्णु के वामन अवतार से जुड़ी कथा में वर्णित हैं, आज भी जीवित माने जाते हैं। उन्हें पाताल लोक का राजा बनाया गया था और उनकी भक्ति और दानशीलता के कारण वे चिरंजीवी माने जाते हैं। उनकी कथा भक्ति और विनम्रता का प्रतीक है।
रावण के छोटे भाई विभीषण ने अपने भाई के अधर्म के विरुद्ध जाकर सत्य का साथ दिया। प्रभु श्रीराम ने लंका विजय के बाद विभीषण को वहां का राजा नियुक्त किया। विभीषण को भी चिरंजीवी होने का वरदान प्राप्त है। उनकी कथा से हमें सत्य और धर्म के मार्ग पर अडिग रहने की प्रेरणा मिलती है।
भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम सतयुग में जन्मे थे। उन्हें भी चिरंजीवी माना जाता है। उनका जीवन वीरता, धर्म की स्थापना और अन्याय के खिलाफ संघर्ष का प्रतीक है। वे आज भी जीवित माने जाते हैं और कलयुग में भी प्रकट होने की भविष्यवाणी की गई है।
चिरंजीवी देव पुरुषों की ये कथाएं न केवल धार्मिक महत्व रखती हैं, बल्कि हमें जीवन में धर्म, सत्य, भक्ति, और कर्तव्य के प्रति प्रेरित करती हैं। इनकी उपस्थिति का विश्वास यह दर्शाता है कि हमारी परंपराएं और आदर्श अनंत काल तक जीवित रह सकते हैं, यदि हम उन्हें सच्चे मन से अपनाएं।
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