इंडिया न्यूज, नई दिल्ली
Hindu Religion में संकष्टी चतुर्थी का अर्थ संकट को दूर करने वाली चतुर्थी माना जाता है। Gajanan संकष्टी चतुर्थी की खास बात यह है कि यह worship morning और evening दोनों समय में की जाती है। जहां सुबह व्रत का संकल्प लिया जाता है, वहीं evening को आरती की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से संकट से मुक्ति मिलती है। गणेश चतुर्थी का व्रत भगवान गणेशजी को समर्पित है तथा यह व्रत हर महीने की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है।
Gajanan संकष्टी चतुर्थी का अवसर बहुत खास होता है। इस दिन जल्दी उठकर स्नान करें और clean yellow clothes पहनें। इसके बाद चौकी साफ आसन बिछाएं और उस पर गंगाजल का छिड़कें। चौकी पर भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र विराजित करें। गणेश जी को फूल माला चढ़ाएं। अब Lamps, incense sticks and incense sticks जलाएं। उसके बाद Ganesh Chalisa पढ़ें तथा गणेश मंत्रों का जाप करें।Lord Ganesha की आरती करें। Evening को Moon को अर्घ्य देकर व्रत को पूरा करें।
Gajanan संकष्टी चतुर्थी से सम्बन्धित पौराणिक कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में किसी शहर में एक साहूकार और उसकी पत्नी रहते थे। साहूकार दम्पत्ति को ईशवर में आस्था नहीं तथा वह नि:संतान थे। एक दिन साहूकार की पत्नी अपने पड़ोसी के घर गयी। उस समय पड़ोसी की पत्नी संकट चौथ की कथा कह रही थी। तब साहूकार की पत्नी ने उसे संकष्टी चतुर्थी के बारे में बताया। उसने कहा संकष्टी चौथ के व्रत से ईश्वर सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। तब साहूकार की पत्नी ने भी संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया तथा सवा सेर तिलकुट चढ़ाया। इसके बाद साहूकार की wife pregnant हुई और उसे पुत्र पैदा हुआ।
साहूकार का बेटा बड़ा हुआ तो उसने ईश्वर से कहा कि मेरे बेटे का विवाह तय हो जाए तो व्रत रखेगी और प्रसाद चढ़ाएगी। ईश्वर की कृपा से साहूकार के बेटे का विवाह तय हो गया लेकिन साहूकार की मां व्रत पूरा नहीं कर सकी। इससे भगवान नाराज हुए और उन्होंने शादी के समय दूल्हे को एक पीपल के पेड़ से बांध दिया। उसके बाद उस peepal tree के पास वह लड़की गुजरी जिसकी शादी नहीं हो पायी थी। तब peepal tree से आवाज ए अर्धब्याही ! यह बात लड़की ने अपनी मां से कहा। मां peepal tree के पास आया और पूछा तो लड़के ने सारी कहानी बतायी। तब लड़की की मां साहूकारनी के पास गयी और सब बात बतायी। तब साहूकारनी ने भगवान से क्षमा मांगी और बेटा मिल जाने के बाद व्रत करने और प्रसाद चढ़ाने के लिए ईश्वर प्रार्थना की। इसके कुछ दिनों बाद साहूकारनी का बेटा उसे मिल गया और उसकी शादी हो गयी तभी से सभी गांव वाले संकष्टी चतुर्थी की व्रत करने लगे।
हिन्दू धर्म में गजानन संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। यह दिन Lord Ganesha जी को समर्पित होता है। गणेश जी को देवताओं में प्रथम देव का दर्जा है। इसलिए हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ कार्य करने से पहले Lord Ganesha जी का स्मरण किया जाता है। Lord Ganesha जी की उपासना करने से शिक्षा, धन, सेहत और मान सम्मान प्राप्त होता है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन जो लोग सच्चे मन से व्रत रखते हैं तथा Lord Ganesha जी की पूजा करते हैं उसके ऊपर प्रभु की कृपा बरसती है। पंडितों का मानना है कि इस संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने वाले जातक को गणेश भगवान सभी मुसीबतों से बाहर निकालते हैं तथा मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से विवाद संबंधी दोष भी दूर होते हैं।
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