India News (इंडिया न्यूज), Gandhari Ka Shraap: महाभारत का युद्ध विश्व इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण और विख्यात युद्धों में से एक माना जाता है। इस युद्ध में लाखों लोग मारे गए, और उसी युद्धभूमि पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को भगवद गीता का अमर ज्ञान दिया। महाभारत से जुड़ी कई कहानियां और घटनाएं विभिन्न ग्रंथों में वर्णित हैं, लेकिन एक ऐसी कथा है जो आज भी प्रासंगिक है और जिसका प्रभाव वर्तमान में भी देखा जा सकता है। यह कथा है गांधार नरेश की पुत्री और शकुनि की बहन, गांधारी के श्राप की, जो उन्होंने अपने भाई और गांधार राज्य (वर्तमान अफगानिस्तान) को दिया था। इस श्राप का असर आज भी अफगानिस्तान की धरती पर दिखाई देता है। आइए जानते हैं इस श्राप और उसके परिणामों के बारे में विस्तार से।
महाभारत काल में कुरु राज्य के राजा धृतराष्ट्र, जो हस्तिनापुर की गद्दी पर बैठे थे, उनकी पत्नी थीं गांधार राज्य की राजकुमारी गांधारी। गांधारी ने धृतराष्ट्र से विवाह करके अपना संपूर्ण जीवन अंधकार में बिताने का निर्णय लिया था, लेकिन उनके जीवन में सबसे बड़ा आघात महाभारत के युद्ध के बाद आया, जब उनके सौ पुत्रों की मृत्यु हो गई। इस दुखद स्थिति ने गांधारी को गहरे शोक में डाल दिया। उन्होंने अपने पुत्रों की मौत के लिए अपने भाई शकुनि को जिम्मेदार ठहराया, जो उस समय गांधार राज्य का राजा था।
शकुनि ने अपनी कूटनीति और छल-कपट से अपने भांजे दुर्योधन को पथभ्रष्ट कर दिया था, जिससे महाभारत के युद्ध का आरंभ हुआ। गांधारी ने अपने पुत्रों की मृत्यु और युद्ध की विभीषिका के लिए शकुनि को दोषी ठहराते हुए उसे श्राप दिया। उन्होंने कहा कि “गांधार राज्य में कभी शांति नहीं रहेगी। यह राज्य हमेशा अशांति, युद्ध और विनाश का केंद्र बना रहेगा।”
गांधारी का यह श्राप आज भी गांधार राज्य, जो वर्तमान में अफगानिस्तान है, पर एक अभिशाप की तरह मंडरा रहा है। इतिहास गवाह है कि अफगानिस्तान ने शायद ही कभी शांति और स्थिरता का अनुभव किया हो। प्राचीन काल से लेकर आधुनिक युग तक, यह देश युद्ध, संघर्ष और आंतरिक अस्थिरता से जूझता रहा है।
2001 में शुरू हुआ तालिबान शासन और उसके बाद की परिस्थितियाँ इस श्राप की गंभीरता को और अधिक उजागर करती हैं। अफगानिस्तान में शांति की कोई उम्मीद नहीं दिखती। यहाँ के लोग दशकों से हिंसा, असुरक्षा और गरीबी से जूझ रहे हैं। तालिबान के शासन ने इस देश को और भी ज़्यादा अस्थिर और भयावह बना दिया है।
अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति को देखते हुए ऐसा लगता है कि गांधारी का श्राप आज भी इस देश को अपनी गिरफ्त में लिए हुए है। यहां की भूमि पर शांति और समृद्धि का अनुभव आज भी एक सपना ही बना हुआ है। अंतरराष्ट्रीय मीडिया और समुदायों का ध्यान इस देश की ओर कभी-कभी ही जाता है, लेकिन अफगानिस्तान की दुखद स्थिति से सभी परिचित हैं।
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इस प्रकार, महाभारत काल की यह कथा न केवल एक ऐतिहासिक दृष्टांत है, बल्कि एक ऐसी कड़ी भी है जो आज भी हमें अतीत और वर्तमान के बीच के संबंधों को समझने का अवसर प्रदान करती है। गांधारी का श्राप और उसका प्रभाव आज भी अफगानिस्तान की दुखद स्थिति में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, और यह हमें यह सोचने पर मजबूर करता है कि शायद इतिहास और धर्मशास्त्र में वर्णित ये कथाएं वास्तव में समय के पार गहरी सच्चाइयों को समेटे हुए हैं।
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