India News (इंडिया न्यूज़), Type Of Ganesha’s Murti: गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापना को लेकर भक्तों में बहुत उत्साह होता है। इस दिन लोग गणेश जी की पूजा और उनके आगमन का स्वागत बड़े धूमधाम से करते हैं। हालांकि, गणेश जी की मूर्तियों के विषय में कुछ विशेष बातें हैं जिनका ध्यान रखना महत्वपूर्ण माना जाता है।
गणेश मूर्तियों की मुद्राएँ और उनका महत्व
भगवान गणेश की मूर्तियाँ दो प्रमुख मुद्राओं में होती हैं, जिनमें से एक में गणेश जी की सूंड दायीं भुजा की ओर होती है, और दूसरी में सूंड बायीं भुजा की ओर होती है। दोनों मुद्राओं का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अलग-अलग होता है:
- दायीं भुजा की ओर सूंड वाली मूर्ति:
- नकारात्मक प्रभाव: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, गणेश जी की सूंड दायीं भुजा की ओर होने वाली मूर्ति को घर में स्थापित करने से दरिद्रता और कंगाली का प्रभाव माना जाता है। ऐसी मूर्ति को घर में न रखने की सलाह दी जाती है क्योंकि इसे अशुभ मानकर इसे घर में रखना दरिद्रता और वित्तीय समस्याओं को आमंत्रित कर सकता है।
- बायीं भुजा की ओर सूंड वाली मूर्ति:
- शुभ प्रभाव: गणेश जी की सूंड बायीं भुजा की ओर होने वाली मूर्ति को घर में स्थापित करना शुभ माना जाता है। इस मूर्ति की पूजा से घर में समृद्धि, धन-धान्य और खुशहाली का आगमन होता है। इसे सौभाग्य और सुख-समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
स्थापना के लिए सुझाव:
- मूर्ति का चयन: गणेश चतुर्थी पर गणेश जी की मूर्ति का चयन करते समय ध्यान दें कि मूर्ति की सूंड बायीं भुजा की ओर हो। यह आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का आह्वान करेगा।
- पूजा विधि: मूर्ति की स्थापना के बाद, विधिपूर्वक पूजा और अर्चना करें। घर में इस दिन विशेष पूजन, हवन और भजन का आयोजन करके गणेश जी की कृपा प्राप्त करें।
- सफाई और सजावट: गणेश चतुर्थी पर घर की अच्छी तरह से सफाई करें और सुंदर सजावट करें ताकि गणेश जी के स्वागत में कोई कमी न रहे।
- मूर्तियों की देखभाल: पूजा के बाद गणेश जी की मूर्ति को ध्यानपूर्वक रखें और सुनिश्चित करें कि वह सही मुद्रा में हो।
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इन सावधानियों और सुझावों का पालन करके आप गणेश चतुर्थी को शुभ और फलदायी बना सकते हैं। भगवान गणेश की कृपा से आपके घर में सुख, समृद्धि और खुशहाली बनी रहे।