India News (इंडिया न्यूज), Ganesh Weddingविघ्नहर्ता श्री गणेश को दुख हरता भी कहा जाता है। भगवान गणेश अपने भक्तों की जीवन में दुखों को लेकर सुखों की उत्पत्ति करते हैं। ऐसे में गणेश जी को लेकर अपने कई किस्से और कहानी को सुने होंगे लेकिन पौराणिक कथाओं के अनुसार और भी ऐसी कहानी है। जिनके बारे में उनके भक्तगण नहीं जानते बता दे कि भगवान गणेश की दो पत्नियों थी जिसमें से पहले का नाम रिद्धि और दूसरी का नाम सिद्धि था लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश जी की दो शादियां क्यों हुई थी।

  • इस वजह से गणेश भगवान की हुई दो शादियां
  • इस तरह से रचाई शादी

इस वजह से हुई थी दो शादियां Ganesh Wedding

पुरानी कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि गणेश भगवान एक तपस्या कर रहे थे। जिस दौरान उसे तरफ से तुलसी माता गुजराती है और गणेश भगवान को देखकर मोहित हो जाते हैं। तुलसी जी गणेश जी से शादी करने की इच्छा जाहिर करती है लेकिन गणेश जी ने खुद को ब्रह्मचारी बताते हुए उनके प्रस्ताव को मना कर दिया। अपने विवाह प्रस्ताव की मना होने के बाद तुलसी नाराज हो जाती है और वह गणेश को श्राप देती है कि तुम्हें एक नहीं बल्कि दो विवाह करने होंगे। क्रोधित होने के बाद गणेश ने भी तुलसी को श्राप दिया कि तुम्हारी शादी एक असूर से होगी। यही कारण था कि गणेश जी की पूजा में तुलसी का प्रयोग कभी नहीं किया जाता।

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इस कथा में दिया गया दूसरा उदाहरण

एक और कथा काफी ज्यादा प्रचलित है। जिसमें गणेश जी को लेकर कहा गया है कि गणेश जी ब्रह्मचारी रहना चाहते थे। वह अपने शरीर को लेकर निराश थे जिस वजह से उन्होंने शादी न करने का फैसला किया था। उन्हें अपना बड़ा हुआ पेट, हाथी वाला मुख सोच के शादी न करने का विचार आता था। इस कारण से उन्होंने ब्रह्मचर्य का पालन करने का उद्देश्य दिया कथाओं के अनुसार गणेश जी को विघ्नहर्ता है लेकिन उन्होंने खुद के ही विवाह और दूसरों के विवाह में विघ्न डालना शुरू कर दिया था। Ganesh Wedding

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इसके बाद सभी गणेश जी से परेशान हो गया और वह सभी ब्रह्मा जी के पास गए ब्रह्मा जी के योग से दो कन्या रिद्धि और सिद्धि को प्रकट किया गया और दोनों ने ब्रह्मा जी की पुत्री के नाम से इस दुनिया में जन्म लिया। जिसके बाद ब्रह्मा जी अपने दोनों पुत्रों को लेकर गणेश जी के पास गए और उन्हें शिक्षा देने के लिए कहा। जह गणेश जी को जानकारी मिल गई की सभी विवाह बिना किसी विघ्न की हो रहे हैं इससे गणेश जी रिद्धि सिद्धि पर बहुत क्रोधित हुए। वह गुस्से से आगे बबुला हो गए और रिद्धि सिद्धि को श्राप दे दिया। तभी वहां ब्रह्मा जी पहुंच गए और उन्होंने गणेश जी के सामने शादी करने का प्रस्ताव रखा इसके बाद उन दोनों का विवाह धूमधाम से उनके दो पुत्र शुभ और लाभ हुए।

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