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Garud Puran: ऐसा काम करने वालों के लिए खुलता है नरक का द्वार, भूलकर भी न करें ये गलती-Indianews

Himanshu Pandey • LAST UPDATED : June 11, 2024, 2:23 am IST

India News (इंडिया न्यूज), Garud Puran: हिंदू धर्म में 4 वेद और 18 महापुराण हैं। इन महापुराणों में गरुड़ पुराण भी शामिल है जिसका विशेष महत्व माना जाता है। सनातन धर्म में जब किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसके घर में 13 दिनों तक गरुड़ पुराण का पाठ किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि 13 दिनों तक गरुड़ पुराण पढ़ने से आत्मा की आसक्ति समाप्त हो जाती है और वह अपने धाम चली जाती है। हालांकि आत्मा स्वर्ग जाएगी या नर्क यह उसके जीवनकाल में किए गए कर्मों पर निर्भर करता है। गरुड़ पुराण के अनुसार व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार स्वर्ग-नर्क में स्थान मिलता है और नर्क में भी उसे अपने कर्मों के अनुसार दंड भोगना पड़ता है। आइए जानते हैं किस तरह के कर्म करने पर लोग जाते हैं नर्क?

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इन कामों को करने से मिलता है नर्क

  • गरुड़ पुराण के अनुसार जो व्यक्ति अपने मित्र के साथ विश्वासघात करता है या उसे किसी भी तरह से धोखा देता है उसे नर्क में स्थान मिलता है। मरने के बाद ऐसा व्यक्ति पहाड़ों पर रहने वाला गिद्ध बन जाता है और अपना पेट भरने के लिए मरे हुए जानवरों को खाता है।
  • गरुड़ पुराण में कहा गया है कि जो भी पुरुष या स्त्री यौन अनैतिकता में लिप्त रहता है और शुभ दिनों में व्रत और श्राद्ध के दौरान यौन संबंध बनाता है, वह भी पापी होता है और उसे नर्क में स्थान मिलता है। ऐसे लोगों को तामिस्त्र, अंधतामिस्त्र और रौरव नामक नर्क भोगने पड़ते हैं।
  • गरुड़ पुराण में प्रत्येक पाप के लिए अलग-अलग सजा बताई गई है। ऐसे में जो व्यक्ति बुराई के रास्ते पर चलता है और बुरे तरीकों से अपने और अपने परिवार के लिए धन इकट्ठा करता है, उसका धन उसके जीवनकाल में ही समाप्त हो जाता है और मृत्यु के बाद वह सभी नर्क भोगता है और अंत में अंधतामिस्त्र नर्क में गिरता है।
  • जो व्यक्ति अपने जीवनकाल में अपने माता-पिता या परिवार के सदस्यों के साथ दुर्व्यवहार करता है या उन्हें प्रताड़ित करता है, उसे अगले जन्म में वर्षों तक धरती नहीं मिलती। गरुड़ पुराण के अनुसार, ऐसे कर्म करने वाले लोग गर्भ में ही मर जाते हैं।
  • गुरुड़ पुराण में कहा गया है कि जो व्यक्ति भगवान को भूलकर अपने परिवार के भरण-पोषण में ही व्यस्त रहता है और साधु-संतों को दान नहीं देता, ऐसा व्यक्ति नर्क में जाता है और प्राणियों के सुखों को भोगता है और दुखी रहता है।

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