धर्म

Garun Puran: मरने के बाद भी 24 घंटे के लिए आत्मा फिर लौटती हैं अपने घर वापस? इतनी दर्दनाक होती हैं दशा

India News (इंडिया न्यूज), Garun Puran: मृत्यु एक ऐसा सच जिससे हर कोई वाखिफ है जो व्यक्ति इस संसार में आया हैं उसे एक न एक इस दुनिया को छोड़के दूसरी दुनिया में प्रवेश करना ही करना हैं। इसी सत्य को दर्शाती हैं ”गरुड़ पुराण” जी हाँ….! हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है, जिसमें मृत्यु, आत्मा, और परलोक से संबंधित विभिन्न विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई है। इस ग्रंथ में वर्णन किया गया है कि मृत्यु के पश्चात आत्मा की यात्रा कैसी होती है और उसे किन-किन स्थितियों का सामना करना पड़ता है।

गरुड़ पुराण के अनुसार, जब व्यक्ति की मृत्यु होती है, तो उसकी आत्मा शरीर से अलग हो जाती है। आत्मा के इस शरीर छोड़ने की प्रक्रिया को अक्सर बहुत दर्दनाक बताया जाता है, विशेषकर उन आत्माओं के लिए जो जीवन में अपने कर्मों के कारण पापों से ग्रस्त होती हैं। ऐसा कहा जाता है कि मृत्यु के तुरंत बाद, आत्मा कुछ समय के लिए भ्रमित होती है और उसे अपने आस-पास की दुनिया के बारे में स्पष्ट समझ नहीं होती।

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मृत्यु के बाद, 24 घंटे के भीतर आत्मा अपने घर करती हैं वापसी

मृत्यु के बाद, 24 घंटे के भीतर आत्मा अपने घर वापिस लौटती है। यह कहा जाता है कि आत्मा अपने परिजनों और प्रियजनों के बीच वापस आती है और अपने घर को देखती है। इस दौरान आत्मा को अपनी मृत्यु का पूरा एहसास होता है और उसे यह समझ आता है कि अब वह शरीर के बंधन से मुक्त हो चुकी है। यह स्थिति आत्मा के लिए अत्यंत पीड़ादायक होती है, क्योंकि उसे अपनी मृत्यु का ज्ञान हो जाता है, लेकिन वह अपने परिवार और प्रियजनों के साथ फिर से जुड़ने में असमर्थ होती है।

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बेहद ही दर्दनाक होती हैं ये अंतिम यात्रा

गरुड़ पुराण में बताया गया है कि यह अवधि आत्मा के लिए बहुत संवेदनशील होती है। आत्मा इस दौरान अपने किए गए कर्मों का परिणाम भुगतने के लिए आगे की यात्रा करती है, जिसमें यमलोक और न्याय के देवता यमराज का सामना करना शामिल है। इस यात्रा के दौरान आत्मा को अपने कर्मों के आधार पर विभिन्न प्रकार की यातनाओं का सामना करना पड़ता है।

इसलिए, गरुड़ पुराण के अनुसार, मृत्यु के बाद आत्मा की स्थिति बहुत ही जटिल और दर्दनाक होती है। यह ग्रंथ हमें यह भी सिखाता है कि मृत्यु के बाद की यात्रा और उसमें आने वाली पीड़ा से बचने के लिए हमें जीवन में अच्छे कर्म करने चाहिए और धार्मिकता का पालन करना चाहिए।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है। 

Prachi Jain

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