India News (इंडिया न्यूज), Jyotishastra: ज्योतिष शास्त्र में कुछ तारीखों और ग्रहों की स्थिति को विवाह में देरी के लिए जिम्मेदार माना जाता है। आमतौर पर, यह विशेषताएँ व्यक्ति की जन्मकुंडली में देखी जाती हैं। यहाँ कुछ प्रमुख ज्योतिषीय कारण दिए गए हैं जो विवाह में देरी का संकेत दे सकते हैं:

  1. मंगल दोष (मांगलिक दोष): अगर जन्मकुंडली में मंगल ग्रह 1st, 4th, 7th, 8th, या 12th भाव में होता है, तो इसे मांगलिक दोष कहा जाता है। मांगलिक दोष वाले व्यक्तियों के विवाह में देरी हो सकती है या विवाह के बाद समस्याएं आ सकती हैं।
  2. शनि का प्रभाव: शनि का 7th भाव (विवाह का भाव) पर दृष्टि होना या शनि का 7th भाव में स्थित होना भी विवाह में देरी का कारण हो सकता है।
  3. राहु और केतु का प्रभाव: अगर राहु या केतु 7th भाव में स्थित हों या 7th भाव के स्वामी पर दृष्टि डाल रहे हों, तो विवाह में देरी हो सकती है।
  4. ग्रहण योग: सूर्य या चंद्रमा के साथ राहु या केतु का योग (ग्रहण योग) होने पर भी विवाह में देरी हो सकती है।
  5. 7th भाव का कमजोर होना: यदि 7th भाव का स्वामी कमजोर होता है या अशुभ ग्रहों से प्रभावित होता है, तो भी विवाह में देरी हो सकती है।

इन ज्योतिषीय कारकों के आधार पर, कुछ तारीखें और कुंडली के ग्रहों की स्थितियाँ विवाह में देरी का संकेत दे सकती हैं।

उदाहरण के लिए, अगर कोई लड़की 15 जनवरी 1995 को जन्मी है और उसकी कुंडली में निम्नलिखित स्थितियाँ हैं:

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  • मंगल 7th भाव में है।
  • शनि 7th भाव पर दृष्टि डाल रहा है।
  • राहु 7th भाव में स्थित है।

तो, ऐसी कुंडली में विवाह में देरी होने की संभावना हो सकती है।

इन ज्योतिषीय कारकों को समझने के लिए, आपकी जन्मकुंडली का विस्तृत विश्लेषण एक योग्य ज्योतिषी द्वारा किया जाना आवश्यक है। यदि आप अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाना चाहते हैं, तो एक अनुभवी ज्योतिषी से संपर्क करें जो आपकी जन्मतिथि, जन्म समय और जन्म स्थान के आधार पर कुंडली बना सके और उचित सलाह दे सके।

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Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।