India News (इंडिया न्यूज़), Sudarshan Chakra: श्री कृष्ण के कई भक्त थे लेकिन आज हम महाभारत काल के विदुर की बात कर रहे हैं जो कृष्ण के बहुत बड़े भक्त थे। आपको बता दें कि विदुर महाभारत काल के एक महत्वपूर्ण पात्र थे, उनका जन्म एक दासी के गर्भ से हुआ था। अपनी बुद्धिमत्ता के कारण विदुर को हस्तिनापुर का प्रधानमंत्री बनाया गया था। इसके साथ ही वे कौरवों और पांडवों के चाचा भी थे। इतनी महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद विदुर महाभारत में अपना अस्तित्व स्थापित नहीं कर पाए।
मृत्यु से पहले श्री कृष्ण को बताई थी अंतिम इच्छा
विदुर ने महाभारत युद्ध लड़ने से भी मना कर दिया था लेकिन अपनी मृत्यु से पहले उन्होंने श्री कृष्ण को अपनी अंतिम इच्छा बताई थी। विदुर भगवान कृष्ण से कहते हैं कि प्रभु, पृथ्वी पर ऐसा प्रलयंकारी युद्ध देखकर मुझे बहुत ग्लानि हो रही है। विदुर भगवान कृष्ण से कहते हैं कि प्रभु, पृथ्वी पर ऐसा प्रलयंकारी युद्ध देखकर मुझे बहुत ग्लानि हो रही है। मेरी इच्छा है कि मृत्यु के बाद मैं अपने शरीर का एक भी अंग इस धरती पर नहीं छोड़ना चाहता। इसलिए जब मेरी मृत्यु हो तो मुझे न तो जलाया जाए, न दफनाया जाए, न ही जल में डुबोया जाए।
सुदर्शन चक्र में परिवर्तित
वह कहता है कि मेरी मृत्यु के पश्चात कृपया मुझे सुदर्शन चक्र में परिवर्तित कर दीजिए। कृष्ण ने उसकी अंतिम इच्छा स्वीकार की तथा उसे आश्वासन दिया कि उसकी मृत्यु के पश्चात वह उसकी इच्छा अवश्य पूरी करेंगे। महाभारत युद्ध समाप्त होने के पश्चात जब पांचों पांडव विदुर से मिलने वन में पहुंचते हैं तो विदुर युधिष्ठिर को देखते ही अपने प्राण त्याग देते हैं तथा युधिष्ठिर में समा जाते हैं। जब युधिष्ठिर यह बात श्री कृष्ण को बताते हैं तो श्री कृष्ण उनसे कहते हैं कि विदुर धर्मराज के अवतार थे तथा आप स्वयं धर्मराज हैं। इसीलिए उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए तथा आप में समा गए। लेकिन अब मैं विदुर को दिया गया वरदान पूर्ण करने आया हूं, यह कहते हुए श्री कृष्ण ने विदुर के शरीर को सुदर्शन चक्र में परिवर्तित कर दिया।
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