India News (इंडिया न्यूज), Guru Purnima 2024: हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। लेकिन इन सभी में आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को विशेष दर्जा प्राप्त है। ऐसा इसलिए क्योंकि इस दिन गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस खास दिन पर माता-पिता और गुरुओं की पूजा करने का विधान है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु, गुरु और माता-पिता की पूजा करता है, उसे सुख, समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं, गुरु पूर्णिमा व्रत की कथा और महत्व क्या है?
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गुरु पूर्णिमा व्रत की कथा
सनातन धर्म में गुरु पूर्णिमा का पर्व महर्षि वेद व्यास जी के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए मनाया जाता है। उन्होंने ही चारों वेदों की रचना की थी और उन्हें महाभारत का रचयिता भी कहा जाता है। इस दिन को उनकी जयंती के रूप में मनाया जाता है। कथा के अनुसार, महर्षि वेद व्यास जी ने एक बार अपनी दिव्य दृष्टि से देखा कि कलियुग में लोगों के मन में धर्म, संस्कार और आचरण की कमी हो जाएगी। धर्म के पतन को रोकने के लिए उन्होंने चारों वेदों का संकलन किया और महाभारत जैसे दिव्य ग्रंथ की रचना की। इसके साथ ही उन्होंने धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के मार्ग को आसानी से समझाने के लिए कई अन्य पुराणों की भी रचना की। इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन महर्षि वेदव्यास और दिव्य ग्रंथ महाभारत की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से व्यक्ति को ज्ञान, मोक्ष और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
गुरु पूर्णिमा पर्व के क्या है नियम?
गुरु पूर्णिमा के दिन देवी-देवताओं, गुरु जन और माता-पिता की पूजा के साथ ही चंद्र देव की पूजा का भी प्रावधान है। इस दिन चंद्र देव को अर्घ्य देना चाहिए। साथ ही मन में गलत विचार नहीं लाने चाहिए। गुरु पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा का भी विशेष महत्व है। इसके साथ ही घर आए किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति को खाली हाथ वापस नहीं भेजना चाहिए।