India News (इंडिया न्यूज़), Chunna Miya Mandir History: भारत के मंदिरों की कई कहानियाँ आपने सुनी होंगी। नाथ नगरी बरेली में भी एक बहुत अनोखा मंदिर है, जो मिसाल पेश करते हुए कई सालों से बरेली के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। इस मंदिर को हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है। यह मंदिर “चुन्ना मियां” के नाम से प्रसिद्ध है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसे हिंदू और मुस्लिम समुदाय दोनों के लोग श्रद्धा और भक्ति से पूजते हैं। मान्यता है कि यदि कोई व्यक्ति सच्चे मन से भक्ति और पूजा-अर्चना करता है, तो भगवान लक्ष्मी-नारायण उसकी इच्छा जरूर पूरी करते हैं।
चुन्ना मियां मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे का प्रतीक भी है। इस मंदिर ने वर्षों से लोगों को एकजुट करने का कार्य किया है और आज भी यह स्थान समर्पण, श्रद्धा और प्रेम का अद्वितीय उदाहरण बना हुआ है।
चुन्ना मियां मंदिर के महंत पंडित दुर्गेश शुक्ला ने मीडिया से खास बातचीत के दौरान बताया कि वे 21 दिसंबर 2015 से भगवान लक्ष्मी नारायण जी की सेवा कर रहे हैं। इस मंदिर में सभी प्रमुख भगवानों की मूर्तियां स्थापित हैं। इनमें लक्ष्मी नारायण, हनुमान जी, गंगा मैया, दुर्गा मैया, संतोषी मैया, राम दरबार, और राधा-कृष्ण दरबार शामिल हैं।
महंत दुर्गेश शुक्ला ने यह भी बताया कि इस मंदिर में न केवल बरेली के लोग बल्कि मेरठ, संभल, दिल्ली और आगरा के लोग भी आते हैं। यहां भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना के लिए हर बृहस्पतिवार को विशेष पूजा का आयोजन होता है। इसके अलावा, हनुमान जी की विशेष पूजा मंगलवार के दिन होती है। चुन्ना मियां मंदिर न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि यह धार्मिक एकता और सांप्रदायिक सौहार्द का भी प्रतीक है। यह मंदिर वर्षों से लोगों के दिलों में एक विशेष स्थान बनाए हुए है, जहां भक्तजन सच्चे मन से प्रार्थना करते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की आशा रखते हैं।
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चुन्ना मियां मंदिर के पंडित दुर्गेश शुक्ला ने एक खास बात बताई। उन्होंने कहा कि यह मंदिर हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक माना जाता है। यह मंदिर मुस्लिम की जमीन पर बना है। पहले लोग इस जमीन पर भगवान की फोटो लगाकर पूजा किया करते थे। संत और मुस्लिम के मिलन से फजल उल रहमान के अंदर इस मंदिर को बनवाने की प्रेरणा जागृत हुई। उनके समर्थन से यहाँ भगवान लक्ष्मी नारायण का मंदिर बनाया गया।
पंडित दुर्गेश शुक्ला ने बताया कि यह कहानी इस मंदिर को विशेष बनाती है। यह स्थान न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि सामुदायिक एकता और सौहार्द का भी प्रतीक है। यहाँ हर धर्म और समुदाय के लोग मिलजुल कर पूजा-अर्चना करते हैं, जो आपसी भाईचारे और सम्मान की अद्वितीय मिसाल है।
पंडित दुर्गेश शुक्ला बताते हैं कि इस मंदिर की मान्यता यह है कि यदि कोई भक्त सच्चे प्रेम से यहाँ आता है, तो भगवान लक्ष्मी नारायण उसकी सारी इच्छाएं जरूर पूरी करते हैं। लक्ष्मी नारायण के दरबार से कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटता।काफी दूर-दूर से लोग यहाँ पूजा-अर्चना करने आते हैं और भगवान लक्ष्मी नारायण सभी की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।यह मंदिर सुबह प्रातः 5:30 से 11:30 बजे तक और शाम 4:00 से 9:00 बजे तक खुलता है।
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इस अनोखे मंदिर की कथा और उसकी मान्यता न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता और सामुदायिक सद्भाव का भी संदेश देती है। यहाँ आने वाले हर भक्त को न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि वह सामूहिक सद्भावना का भी अनुभव करता है।
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