India News (इंडिया न्यूज), What Is The Path To Yamlok: स्वर्ग और नर्क के बारे में तो सभी जानते हैं। व्यक्ति को उसके कर्मों के आधार पर स्वर्ग या नर्क की प्राप्ति होती है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, अच्छे और श्रेष्ठ कर्म करने वाले लोग स्वर्ग जाते हैं, जबकि बुरे कर्म करने वाले लोगों को नर्क भोगना पड़ता है। गरुड़ पुराण में व्यक्ति की मृत्यु से जुड़ी कई बातें बताई गई हैं। मृत्यु के बाद क्या होता है? यमलोक की यात्रा कैसे होती है? इस बारे में ज्योतिष शास्त्र बताते हैं कि यमलोक की यात्रा में यमदूत आत्मा को पकड़कर यमराज के पास ले जाते हैं। इसके बाद कर्मों के आधार पर उसे नर्क या स्वर्ग भेजा जाता है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, व्यक्ति का जीवन उसके कर्मों के आधार पर समाप्त होता है। अच्छे कर्म करने वाले व्यक्ति की मृत्यु आंखों और मुंह के माध्यम से होती है। जबकि, पाप या बुरे कर्म करने वाले व्यक्ति की मृत्यु शरीर के निचले हिस्सों से होती है। व्यक्ति की मृत्यु के बाद यमदूत उसकी आत्मा को लेने आते हैं। यमदूत बहुत ही भयानक रूप में होते हैं। उनके हाथों में एक फंदा होता है, जिससे वो आत्मा को बांधते हैं। गरुड़ पुराण में बताया गया है कि पृथ्वी से यमलोक की दूरी 99 हजार योजन है।
गरुड़ पुराण के अनुसार, जब आत्मा यमलोक पहुंचती है, तो उसे वापस उसके घर ले जाया जाता है। आत्मा अपने मृत शरीर को देखती है और अपने परिवार के सदस्यों को रोते-बिलखते हुए देखती है। यह सब देखकर वो अपने शरीर में वापस जाना चाहती है। लेकिन यमदेव अपने परिवार से निराश होकर उसे धरती पर नई यात्रा पर भेज देते हैं। कहते हैं कि मरने के बाद आत्मा 12 दिन तक घर पर ही रहती है और फिर 13वें दिन मौत के दूत आत्मा को यमलोक ले जाते हैं। इस दौरान आत्मा को काफी यातनाएं दी जाती हैं। पाप करने वालों को काफी कष्ट भोगना पड़ता है। इसके बाद आत्मा यमराज के दरबार में पहुंचती है।
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