धर्म

अगर कुंभ नहीं होता तो नहीं होते नागा साधु! जानें मुगल काल से अखाड़े का क्या है कनेक्शन

India News (इंडिया न्यूज),Naga Sadhu In Mahakumbh:13 फरवरी को प्रयागराज में महाकुंभ का आगाज हुआ। जिसके बाद से हर तरफ साधुओं और अखाड़ों की बात हो रही है। बता दें महाकुंभ या कुंभ में सबसे पहले स्नान के लिए साधुओं की एक टोली आती है। शरीर पर धुनि और राख लिपटी हुई होती है। कुछ दिगंबर होते हैं तो कुछ श्रीदिगंबर।उनके स्नान करने के बाद महिला साधुओं की टोली स्नान करती है।वो महिलाएं भी सिर्फ तन पर दंती लपेटे हुए होती हैं। यानि बिना सिला कपड़ा।इन सभी को नागा साधु कहा जाता है।ये लोग सिर्फ आपको कुंभ मेले में ही दिखेंगे। फिर वापस लौट जाते हैं।

रहस्यमय है  नागा साधुओं का जीवन

नागा साधुओं का जीवन रहस्यमय रहा है, लोगों को कभी पता नहीं चलता कि नागा महाकुंभ में कैसे आते हैं और महाकुंभ खत्म होने के बाद कहां गायब हो जाते हैं. हालांकि कुछ लोगों का मानना ​​है कि नागा साधु रात में खेतों और पगडंडियों का इस्तेमाल करके चले जाते हैं, लेकिन इसके कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं। महामंडलेश्वरों के अनुसार ये नागा प्रयागराज, काशी, उज्जैन, हिमालय की गुफाओं और हरिद्वार जैसे दूर-दराज के इलाकों में रहते हैं। ये अपना ज़्यादातर समय ध्यान में बिताते हैं।

सिर्फ़ 7 अखाड़े ही देते हैं नागा साधुओं की ट्रेनिंग

कहा जाता है कि नागा साधुओं की ट्रेनिंग किसी भी कमांडो ट्रेनिंग से ज़्यादा ख़तरनाक होती है। जो व्यक्ति नागा साधु बनना चाहता है, उसके लिए महाकुंभ, अर्धकुंभ और सिंहस्थ कुंभ के दौरान साधु बनने की प्रक्रिया शुरू की जाती है। नागा साधुओं के कुल 13 अखाड़े हैं, जिनमें से सिर्फ़ 7 अखाड़े ही नागा संन्यासियों को प्रशिक्षण देते हैं, जिनमें जूना, महानिर्वाणी, निरंजनी, अटल, अग्नि, आनंद और आह्वान अखाड़ा शामिल हैं।

अखाड़ा शब्द कहां से आया?

लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह अखाड़ा शब्द कहां से आया? कुछ जानकारों के अनुसार अखाड़ा शब्द की शुरुआत मुगल काल से हुई। इससे पहले साधुओं के समूह को बेड़ा या समूह कहा जाता था। अखाड़ा साधुओं का समूह होता है जो शास्त्रों के अच्छे जानकार होते हैं और उन्हीं नियमों का पालन करते हुए तपस्या करते हैं।

13 अखाड़े

नागा दरअसल एक उपाधि है। साधुओं के तीन संप्रदाय हैं, वैष्णव, शैव और उदासी। इन संप्रदायों में भी कई विभाजन हैं। जैसे दिगंबर, निर्वाणी और निर्मोही तीनों ही वैष्णव संप्रदाय के हैं। इन तीनों संप्रदायों को मिलाकर कुल 13 अखाड़े हैं। इन सभी अखाड़ों से नागा साधु बनाए जा सकते हैं।

नागा साधुओं को सार्वजनिक रूप से नग्न रहने की अनुमति होती है। वे तपस्या के लिए अपने वस्त्र त्याग सकते हैं। कई नागा वस्त्रधारी होते हैं और कई दिगंबर यानी नग्न होते हैं। ज्यादातर नग्न नागा साधु शैव अखाड़े से आते हैं। हर अखाड़े के साधुओं का स्वभाव अलग होता है और उनके नियम भी अलग होते हैं। कई लोग मानते हैं कि नागा का मतलब नग्न होता है, लेकिन ऐसा नहीं है। वस्त्र पहनने वाले भी नागा साधु हो सकते हैं।

एक शव के शरीर का ये हिस्सा क्यों होता है इतना आकर्षक कि अघोरी साधू बना लेते है इसे अपना भोजन? तंत्र साधना भी नहीं होती पूर्ण!

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Divyanshi Singh

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