India News (इंडिया न्यूज), Story Of Maa Ganga & Mahabharat: महाभारत की कथा न केवल एक महाकाव्य है, बल्कि इसमें हर पात्र की कहानी में गहरे रहस्यों और घटनाओं की परतें हैं। इनमें से एक प्रमुख और दिलचस्प घटना है, जो राजा शांतनु और देवी गंगा से जुड़ी हुई है, और इसके पीछे एक श्राप की वजह से महाभारत की घटनाएँ घटित हुईं। आइए जानें कि कैसे एक श्राप ने महाभारत की पूरी कहानी को दिशा दी।
महाभिष, जो एक महान और पुण्यात्मा राजा थे, ने अपने जीवन में इतने अच्छे कर्म किए थे कि वे स्वर्ग में इंद्र के साथ रहने गए। वहां उन्होंने अप्सराओं के संग नृत्य किया और मदिरा का सेवन किया, साथ ही इच्छापूर्ति करने वाले कल्पतरु वृक्ष से हर सुख-सुविधा प्राप्त की। एक दिन जब महाभिष ब्रह्मा जी से मिलने गए, तो वहां देवी गंगा भी उपस्थित थीं।
तभी तेज़ हवा चली और देवी गंगा का पल्लू उड़ गया। सभी देवता और ऋषि अपनी नज़रों को फेरते हैं, लेकिन महाभिष खुद को रोक नहीं पाए और उन्होंने गंगा के नंगे स्तनों को देख लिया। देवी गंगा भी इस दृश्य से मोहित हो गईं और उन्होंने महाभिष की ओर देखा। यह दृश्य ब्रह्मा जी के लिए असहनीय था, और वे गुस्से में आ गए। उन्होंने महाभिष और देवी गंगा को श्राप दिया।
महाभिष ने ब्रह्मा के श्राप को स्वीकार किया और पृथ्वी पर लौट आए। वे हस्तिनापुर के राजा शांतनु के रूप में जन्मे। महाभिष के लिए यह एक प्रकार का दंड था, क्योंकि उन्हें पृथ्वी पर आकर गंगा से मिलकर अपना दिल टूटते देखना था।
राजा शांतनु ने गंगा को देखा और उनकी सुंदरता से मोहित हो गए। गंगा ने शांतनु से विवाह करने की इच्छा जताई, लेकिन गंगा ने राजा शांतनु के सामने एक शर्त रखी: “मैं तुम्हारे साथ विवाह करूंगी, लेकिन मेरी शर्त यह है कि हमारे सातों बच्चों को मैं बहा दूंगी। तुम मुझे कोई रोक-टोक नहीं कर पाओगे।”
राजा शांतनु ने गंगा से विवाह कर लिया, और जैसे ही उनका पहला बच्चा हुआ, गंगा उसे लेकर नदी में बहा देती हैं। राजा शांतनु ने इस पर कुछ नहीं कहा। ऐसा ही छह और बच्चों के साथ हुआ, लेकिन सातवें बच्चे के साथ शांतनु का धैर्य टूट गया।
जब गंगा ने अपने आठवें बच्चे को बहाने की तैयारी की, तो राजा शांतनु ने इसका विरोध किया। उन्होंने गंगा से कहा, “यह शर्त मुझे अब स्वीकार नहीं है।” इस पर गंगा ने राजा शांतनु से कहा कि “तुम्हें यह सब सहना होगा, क्योंकि यह मेरे पूर्व जन्म का श्राप है।” फिर गंगा ने राजा शांतनु से कहा कि वह अब उन्हें छोड़कर चली जाएंगी।
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गंगा ने राजा शांतनु से शर्त के अनुसार सातों बच्चों को बहा दिया, लेकिन आठवें बच्चे भीष्म को शांतनु ने बचा लिया। गंगा ने भीष्म को शांतनु के पास छोड़ दिया और स्वयं चली गईं। भीष्म का नाम इसलिए पड़ा क्योंकि वे गंगा के द्वारा छोड़ने के बाद शांतनु के पास रहे।
यह घटना महाभारत की शुरुआत की कड़ी बन गई और इसने महाभारत के युद्ध की नींव रखी। भीष्म का जन्म, उनका संकल्प, और उनका जीवन बाद में महाभारत की प्रमुख घटनाओं से जुड़ा रहा, और महाभारत के युद्ध की दिशा तय करने में उनकी भूमिका अहम रही।
महाभिष और गंगा की कहानी महाभारत की जटिलताओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। यह कहानी न केवल महाभारत के प्रमुख पात्रों के जन्म की व्याख्या करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि जीवन में हमारे कर्म और श्राप कैसे हमारे भविष्य को आकार दे सकते हैं। राजा शांतनु और गंगा की यह कहानी दिखाती है कि किसी भी महान घटना का आरंभ कभी न कभी एक श्राप या किसी पिछली गलती से होता है, और वह श्राप किस तरह भविष्य को प्रभावित करता है।
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