India News (इंडिया न्यूज), Vrindavan Parikrama: भारत में मंदिरों में परिक्रमा का विशेष महत्व है, और जब बात वृंदावन की हो, तो इसकी पवित्रता और महत्व और भी बढ़ जाता है। वृंदावन का नाम आते ही मन में एक अलग सी ही उमंग सी छा जाती हैं। बांके बिहारी का ये धाम अपने नाम से ही चेहरे पर एक अलग सी मुस्कान ले आता हैं तो सोचिये इसकी परिक्रमा से मन को कितना सुख प्राप्त होगा? अगर आप भी प्रभु की कृपा पाना चाहते हैं, तो आपको सावन के दौरान वृंदावन में परिक्रमा जरूर करनी चाहिए। जी हाँ! सावन में वृंदावन की परिक्रमा का एक विशेष ही महत्व हैं और वो क्या हैं ये आप आज जान लेंगे….
वृंदावन की परिक्रमा का महत्व
वृंदावन, भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की अद्भुत लीलाओं की भूमि है। यहां की परिक्रमा करने से भक्तों को विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। श्रावण मास के दौरान, यहां परिक्रमा करने का महत्व और भी अधिक हो जाता है। मान्यता है कि इस पवित्र मास में परिक्रमा करने से सुख, समृद्धि, और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
बांके बिहारी मंदिर के सेवायत, श्रीनाथ गोस्वामी के अनुसार, “श्रावण मास में पृथ्वी पर सभी देवी-देवता आकर भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं के दर्शन करते हैं। इस दौरान 33 कोटी देवी-देवता वृंदावन की परिक्रमा का पुण्य प्राप्त करने आते हैं।”
परिक्रमा का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
वृंदावन की परिक्रमा करने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में आने वाली बाधाएं समाप्त हो जाती हैं। यह स्थान अपने आप में एक पुण्य भूमि है, जहां कृष्ण और राधा रानी के साथ गोपियों द्वारा की गईं लीलाओं का अद्भुत अनुभव होता है।
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श्रीनाथ गोस्वामी बताते हैं कि श्रावण मास में वृंदावन की परिक्रमा करने से न सिर्फ भगवान श्रीकृष्ण, बल्कि तुलसी माता का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। परिक्रमा करने वाले भक्तों के घर से आर्थिक तंगी हमेशा के लिए दूर हो जाती है, और मां लक्ष्मी का वास वहां होता है।
मोक्ष की प्राप्ति
वृंदावन की परिक्रमा लगाने से न केवल सुख और समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि भक्तों को मोक्ष की भी प्राप्ति होती है। यह मान्यता है कि परिक्रमा करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश होता है, और उसे ईश्वर का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन के सभी कष्टों का अंत हो जाता है।
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