India News (इंडिया न्यूज़), Where is Arjun Gandiva Bow: महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने अपने दिव्य गांडीव धनुष और अक्षय तरकश के प्रयोग से अनेक महारथियों का वध किया था। अर्जुन और कर्ण के बीच हुए युद्ध में, गांडीव धनुष ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
अर्जुन के पास अक्षय तरकश भी था, जिसकी विशेषता थी कि उसमें रखें तीर सदैव अक्षय रहते थे, यानी कि ये तरकश हमेशा तीरों से भरा रहता था। इसके तीर कभी भी खत्म नहीं होते थे।
गांडीव धनुष, अत्यंत शक्तिशाली और अलौकिक था। जो भी व्यक्ति इसको धारण करता था, वह अत्यंत शक्तिशाली हो जाता था, जिससे वह युद्ध में अजेय हो जाता था। कोई भी अस्त्र शस्त्र इस धनुष को नष्ट नहीं कर सकता था।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने कण्व ऋषि की मूर्धा पर उगे बांस काटकर भगवान विश्वकर्मा को दिए, इनसे विश्वकर्मा ने 3 धनुष का निर्माण किया, जिनमें से एक गांडीव भी था।
कथाओं के अनुसार, इन धनुष को ब्रह्माजी ने भगवान शिव को और भगवान शिव ने देवराज इंद्र को, इंद्र ने इसे वरुण देव को सौंपा। वरुण देव से प्रार्थना कर अर्जुन ने इस धनुष को प्राप्त किया था।
अन्य मान्यताओं के अनुसार, अर्जुन की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें गांडीव धनुष प्रदान किया था।
महाभारत युद्ध के बाद, अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष और अन्य अस्त्र-शस्त्रों को त्याग दिया था। ऐसा उन्होंने हिंसा का त्याग करने और शांतिपूर्ण जीवन जीने के संकल्प के तहत किया था। कुछ मान्यताओं के अनुसार, गांडीव धनुष आज भी समुद्र में कहीं छिपा हुआ है।
अन्य मान्यताओं के अनुसार, कहा जाता है कि उत्तराखंड के चंपावत जिले में ब्यानधुरा मंदिर है। ब्यानधुरा क्षेत्र में मौजूद यह मंदिर जंगल के बीचों-बीच में पहाड़ी की चोटी पर है। ब्यानधुरा मंदिर ऐड़ी देवता का है, इसे शिव के 108 ज्योर्तिलिंगों में से एक माना जाता है। धनुष युद्ध विद्या में निपुण राजा ऐड़ी को महाभारत के अर्जुन का अवतार माना जाता है।
राजा ऐड़ी ने इस स्थान पर तपस्या की थी और देव्तत्व को प्राप्त किया था। इस क्षेत्र को पांडवो ने अपना निवास स्थल बनाया था। अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष को इसी स्थान पर किसी एक चोटी के पत्थर के नीचे छिपाया था। कहा जाता है कि अर्जुन का गांडीव धनुष आज भी इस क्षेत्र में मौजूद है।
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