धर्म

महिलाओं के इस मंदिर में प्रवेश करने मात्र से उनके पति की हो जाती है मौत, मंदिर के पास से गुजरने में भी स्त्रियों की होती है हालत खराब

India News (इंडिया न्यूज), Kartikeya Temple: भारत के हर कोने में पौराणिक कथाओं और धार्मिक मान्यताओं से जुड़े अनोखे मंदिर देखने को मिलते हैं। इन्हीं में से एक है हरियाणा के कुरुक्षेत्र जिले के पेहोवा में स्थित कार्तिकेय मंदिर। यह मंदिर भगवान शिव के पुत्र कार्तिकेय को समर्पित है, और इसे महाभारत कालीन मंदिर माना जाता है। हालांकि, इस मंदिर की एक अनोखी विशेषता और मान्यता इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है—यहां महिलाओं का गर्भगृह में प्रवेश वर्जित है।

मंदिर का रहस्यमय इतिहास

पेहोवा के सरस्वती तीर्थ में स्थित इस मंदिर के गर्भगृह में कार्तिकेय भगवान की पिंडी स्थापित है, जिसे “कार्तिकेय पिंडी” कहा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, अगर किसी महिला ने इस पिंडी के दर्शन कर लिए तो उसके पति की मृत्यु हो जाएगी और वह सात जन्मों तक विधवा रहेगी। इसी कारण महिलाएं इस मंदिर में गर्भगृह के दर्शन करने से कतराती हैं।

मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक विशेष सूचना बोर्ड लगा हुआ है, जिसमें स्पष्ट लिखा गया है कि महिलाओं को गर्भगृह में प्रवेश नहीं करना चाहिए। इस नियम का पालन आज भी सख्ती से किया जाता है।

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पौराणिक कथा: क्यों हुआ यह मंदिर श्रापित?

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान कार्तिकेय एक बार अपनी माता पार्वती से क्रोधित हो गए थे। इस क्रोध के कारण उन्होंने अपने शरीर का मांस और रक्त अग्नि को अर्पित कर दिया। इसके बाद भगवान शिव ने उन्हें शांति के लिए पिहोवा की तीर्थयात्रा करने का निर्देश दिया।

कहा जाता है कि कार्तिकेय के शरीर की तपन को शांत करने के लिए ऋषियों ने उनके शरीर पर सरसों का तेल लगाया था। जब उनका शरीर ठंडा हो गया, तो उन्होंने इस स्थान को अपना निवास बना लिया और पिंडी के रूप में स्थापित हो गए।

महिलाओं के प्रवेश पर क्यों है प्रतिबंध?

इस मंदिर से जुड़ी एक और कथा के अनुसार, कार्तिकेय ब्रह्मचारी थे। उनकी कठोर तपस्या और ब्रह्मचर्य के कारण ही इस स्थान को अत्यंत पवित्र माना गया। धार्मिक मान्यताओं में कहा जाता है कि महिलाओं का यहां प्रवेश उनके पतियों के जीवन के लिए हानिकारक साबित हो सकता है।

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इस कारण मंदिर प्रशासन ने महिलाओं के गर्भगृह में प्रवेश पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया है।

मंदिर की धार्मिक महत्ता

कार्तिकेय मंदिर का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व बहुत गहरा है। यह स्थान न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि यहां आने वाले भक्त कार्तिकेय भगवान से अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

वर्तमान में मंदिर की स्थिति

मंदिर के नियमों का आज भी कड़ाई से पालन किया जाता है। स्थानीय लोग और श्रद्धालु इसे श्रद्धा और आस्था का प्रतीक मानते हैं। महिलाओं के लिए यह मंदिर एक रहस्य और श्रद्धा का केंद्र है, और वे इस स्थान पर दूर से ही प्रार्थना करती हैं।

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कार्तिकेय मंदिर न केवल धार्मिक मान्यताओं का एक अद्भुत उदाहरण है, बल्कि यह पौराणिक कथाओं और आस्थाओं का प्रतिबिंब भी है। इस स्थान से जुड़े नियमों और परंपराओं का सम्मान करना हर भक्त की जिम्मेदारी है। चाहे इस मंदिर के पीछे की कथाओं को विज्ञान माने या आस्था, यह जगह आज भी लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करती है।

पेहोवा के कार्तिकेय मंदिर का यह अनोखा इतिहास और इससे जुड़ी पौराणिक कहानियां इसे भारत के अन्य मंदिरों से अलग बनाती हैं। यहां की धार्मिक मान्यता हमें हमारी प्राचीन संस्कृति और परंपराओं की गहराई से जोड़ती है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।

Prachi Jain

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