India News (इंडिया न्यूज), Mahabharat Ulupi: एक बार की बात है, जब पांडवों को वनवास के दौरान अपने राज्य से दूर जाना पड़ा। पांचों भाई अपने-अपने रास्ते पर आगे बढ़ रहे थे, लेकिन अर्जुन का वनवास कुछ विशेष ही था। वह वनवास के दौरान कई अद्भुत घटनाओं और रहस्यमयी जगहों से गुजरे। अर्जुन जब एक दिन गंगा के किनारे पहुंचे, तो वहां का दृश्य बेहद मनमोहक था। चारों ओर शांति थी, और गंगा की लहरें शीतलता का अहसास करा रही थीं। अर्जुन ने सोचा कि कुछ समय यहां विश्राम किया जाए। वह एक वृक्ष के नीचे बैठ गए और गहरी ध्यानावस्था में लीन हो गए।
उसी समय, नागलोक में एक असामान्य हलचल थी। नागकन्या उलूपी, जो अद्वितीय सुंदरता की धनी थी, ने अर्जुन की उपस्थिति का आभास किया। लेकिन उलूपी का मन सिर्फ सौंदर्य तक ही सीमित नहीं था; उसमें साहस और प्रताप भी था। उसने सुना था कि अर्जुन ने नागवंशियों के खिलाफ युद्ध किया था, और उसके बहुत से संबंधी मारे गए थे। नागलोक के राजा ने भी अर्जुन से बदला लेने की योजना बनाई थी।
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उलूपी ने मन में ठाना कि वह इस योद्धा को समाप्त करेगी। वह अर्जुन के पास पहुंची, गंगा के तट पर, जहां वह ध्यानमग्न थे। जैसे ही उसने अर्जुन को देखा, उसकी सारी क्रोध और प्रतिशोध की भावना पल भर में विलीन हो गई। उलूपी अर्जुन की महानता और उनकी आभा से प्रभावित हो गई।
अर्जुन ने जब अपनी आँखें खोलीं, तो उनके सामने एक अद्भुत सौंदर्य प्रकट हुआ। उलूपी ने अपनी पहचान बताई और उनसे विवाह का प्रस्ताव रखा। लेकिन अर्जुन ने विनम्रता से इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया, क्योंकि वे अपने धर्म और नीतियों के प्रति वफादार थे।
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उलूपी ने तब एक चाल चली। उसने अर्जुन को अपने नागलोक ले जाने का निश्चय किया और उन्हें बेहोश कर दिया। अर्जुन जब जागे, तो वे नागलोक में थे, जहां उलूपी ने उन्हें नागराज के सामने प्रस्तुत किया। उलूपी ने अर्जुन का पक्ष लिया और नागराज को समझाया कि अर्जुन नागलोक के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि उन्होंने केवल धर्म के लिए युद्ध किया था।
नागराज ने उलूपी के शब्दों पर विश्वास किया और अर्जुन के प्रति उनका दृष्टिकोण बदल गया। उसी समय, उलूपी और अर्जुन के बीच एक नया संबंध स्थापित हुआ, और दोनों का विवाह नागलोक में संपन्न हुआ। उनके मिलन से एक वीर पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम इरावन रखा गया। इस प्रकार, अर्जुन और उलूपी की कहानी पौराणिक कथाओं में अमर हो गई। उलूपी ने अर्जुन को जल में हानिरहित रहने का वरदान भी दिया, जिससे उनका वनवास और भी अद्भुत और रहस्यमयी बन गया।
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