India News (इंडिया न्यूज), Draupadi & Arjun: महाभारत की पवित्र कथाओं में, द्रौपदी एक अत्यंत महत्वपूर्ण पात्र हैं। वे पांचाल देश के राजा द्रुपद की पुत्री और पांडवों की पत्नी थीं। द्रौपदी को पंचकन्याओं में से एक माना जाता है और इन्हें चिर-कुमारी भी कहा जाता है। हालांकि, द्रौपदी की एक रहस्यमय कथा भी है जिसमें कहा जाता है कि उन्हें कुछ समय के लिए नर्क की यात्रा करनी पड़ी। आइए जानते हैं इसके पीछे की वजह और इसका विवरण।

पांडवों का राज्याभिषेक और स्वर्ग की यात्रा

महाभारत युद्ध के बाद, युधिष्ठिर ने हस्तिनापुर का राजपाठ अपने पुत्र परीक्षित को सौंपने का निर्णय लिया। यह एक महत्वपूर्ण क्षण था, जिसमें पांडवों ने राजसत्ता की जिम्मेदारी से निवृत्त होने का निर्णय लिया और स्वर्ग की यात्रा करने की तैयारी की। इस यात्रा में वे हिमालय की ओर बढ़े, जो आत्मसात की ओर एक दिव्य यात्रा का प्रतीक था।

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द्रौपदी की गिरावट

हिमालय की कठिन यात्रा के दौरान, द्रौपदी सबसे पहले गिर गईं और उनका देहांत हो गया। यह घटना पांडवों के लिए एक दुखद और रहस्यमय पल था। भीम, जो द्रौपदी के प्रति अत्यधिक लगाव रखते थे, ने युधिष्ठिर से सवाल किया कि द्रौपदी इतनी जल्दी क्यों मरीं। इस प्रश्न ने युधिष्ठिर को इस रहस्यमय घटना के पीछे की सच्चाई को उजागर करने के लिए प्रेरित किया।

युधिष्ठिर का उत्तर

युधिष्ठिर ने स्पष्ट किया कि द्रौपदी की मृत्यु का कारण उनकी व्यक्तिगत दोषों में छिपा था। उन्होंने बताया कि द्रौपदी ने पांचों पांडवों से विवाह किया था, लेकिन उनका दिल विशेष रूप से अर्जुन के प्रति बहुत अधिक झुका हुआ था। यह एक गंभीर धर्मिक दोष था क्योंकि द्रौपदी ने अपने सभी पतियों के प्रति समान भावनाएं नहीं रखीं। युधिष्ठिर ने कहा कि यह असमानता उनके धर्म के खिलाफ थी, और इसीलिए उन्हें नर्क की यात्रा करनी पड़ी।

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दानवीर कर्ण का अपमान

इसके अतिरिक्त, युधिष्ठिर ने एक और कारण बताया। द्रौपदी ने स्वयंवर के दौरान दानवीर कर्ण का अपमान किया था। कर्ण, जो स्वयं एक महान योद्धा और दानवीर थे, ने द्रौपदी की उपेक्षा को सहन किया था। द्रौपदी की यह कृतज्ञता और विनम्रता की कमी भी उनके पापों में गिनी गई, जिसके कारण उन्हें नर्क का अनुभव करना पड़ा।

दंड और नैतिकता

युधिष्ठिर ने कहा कि द्रौपदी द्वारा किए गए अन्याय और पापों की वजह से उन्हें नर्क की यात्रा करनी पड़ी। यह यात्रा एक दंड था, जो उनके द्वारा किए गए कर्मों के परिणामस्वरूप मिला। इससे यह भी सिखाया जाता है कि धर्म और नैतिकता के प्रति किसी भी प्रकार की अनदेखी या असमानता के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

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