धर्म

महाभारत काल का पहला टेस्ट टयूब बेबी था ये शूरवीर योद्धा…जन्म की कहानी इतनी रहस्यमयी के सुनकर रह जाएंगे दंग

India News (इंडिया न्यूज), Facts About Mahabharat: महाभारत, भारतीय संस्कृति का एक ऐसा महाकाव्य है जिसमें जीवन के हर पहलू को दर्शाया गया है। इसके विभिन्न पात्रों और घटनाओं में अनेक कहानियाँ छिपी हुई हैं, जिनसे हमें जीवन जीने की प्रेरणा और शिक्षा मिलती है। ऐसी ही एक अनोखी और रोचक कहानी जुड़ी है गुरु द्रोणाचार्य से। गुरु द्रोणाचार्य को भारत का पहला ‘टेस्ट ट्यूब बेबी’ माना जाता है। इस कहानी के पीछे का विज्ञान और रहस्य अत्यंत अद्भुत है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं।

द्रोणाचार्य का जन्म और महर्षि भारद्वाज की भूमिका

गुरु द्रोणाचार्य के पिता महर्षि भारद्वाज एक महान ऋषि और विद्वान थे। उनकी तपस्या और ज्ञान का उल्लेख कई ग्रंथों में मिलता है। उनकी माता मेनका या अन्य किसी अप्सरा थीं, जिनका उल्लेख इस कहानी में मुख्य भूमिका निभाता है। एक बार की बात है, महर्षि भारद्वाज गंगा नदी में स्नान करने गए। वहां उन्होंने एक अप्सरा को स्नान करते हुए देखा। उस अप्सरा की सुंदरता देखकर महर्षि मंत्रमुग्ध हो गए। उनकी इस अवस्था में उनके शरीर से शुक्राणु का उत्सर्जन हुआ।

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मिट्टी के पात्र से द्रोणाचार्य का जन्म

ऋषि भारद्वाज ने अपने उत्सर्जित शुक्राणु को व्यर्थ जाने नहीं दिया। उन्होंने उसे एक विशेष प्रकार के मिट्टी के पात्र में एकत्र किया और सुरक्षित रखा। इस पात्र को अंधेरे और उपयुक्त तापमान वाले स्थान पर रखा गया। इस प्रक्रिया से द्रोणाचार्य का जन्म हुआ।

यह घटना महाभारत में मानव विज्ञान और प्रकृति के चमत्कार का अद्भुत संगम है। उस युग में यह प्रक्रिया आज की कृत्रिम गर्भाधान (Artificial Insemination) और टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक से मिलती-जुलती प्रतीत होती है।

द्रोणाचार्य का जीवन और महत्व

द्रोणाचार्य का जन्म ही उनकी असाधारणता को दर्शाता है। वे बाल्यकाल से ही अत्यंत प्रतिभाशाली और तपस्वी थे। वे कौरवों और पांडवों के गुरु बने और उन्हें युद्ध कला और धर्म का ज्ञान दिया। उन्होंने अर्जुन को एक महान धनुर्धर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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प्राचीन भारतीय विज्ञान और आधुनिक दृष्टिकोण

द्रोणाचार्य की यह कहानी प्राचीन भारतीय विज्ञान और उसके चमत्कारिक पहलुओं को उजागर करती है। यह दिखाता है कि उस समय भी विज्ञान और प्रकृति को समझने की गहरी दृष्टि थी। हालांकि, इसे धार्मिक दृष्टि से देखा जाता है, लेकिन यह घटना आधुनिक विज्ञान को भी चुनौती देती है।

गुरु द्रोणाचार्य का जन्म केवल एक धार्मिक कथा मात्र नहीं है, बल्कि यह प्राचीन भारतीय ज्ञान-विज्ञान और अध्यात्म का अद्भुत उदाहरण है। यह कहानी हमें महाभारत के गहरे और अनकहे पहलुओं को समझने का अवसर देती है। साथ ही यह यह भी दिखाती है कि मानव सभ्यता ने कितनी प्रगति की है और हमारा इतिहास कितना समृद्ध है।

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डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है।पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं /करता है।

Prachi Jain

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