India News (इंडिया न्यूज), Shakuni’s Real Name: महाभारत में शकुनि का किरदार एक महत्वपूर्ण और जटिल भूमिका निभाता है। शकुनि, जो अपने दुष्ट व्यवहार और रणनीतिक चालों के लिए जाना जाता है हमेशा से ही एक घृणा भरी नजरों से देखा गया हैं, महाभारत की घटनाओं में एक केंद्रीय भूमिका निभाने वाले इस शकुनि के बारे में कितना जानते हैं आप? क्या जानते हैं क्या था उसका असली नाम और किसने रखा था उस दुष्ट का असली नाम तो आइए जानते हैं उसके बारे में कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
रिश्ते और परिवार
शकुनि का परिवार: शकुनि गांधार नरेश सुबल का पुत्र था। सुबल गांधार राज्य के शासक थे, और शकुनि की बहन गांधारी दुर्योधन की मां थी। इस प्रकार, शकुनि दुर्योधन का मामा था और गांधारी का भाई था।
गांधार राज्य: शकुनि का परिवार गांधार राज्य से था। शादी के बाद, गांधारी और शकुनि के परिवार ने हस्तिनापुर में निवास करना शुरू किया, जहां उन्होंने पांडवों और कौरवों के साथ संबंध बनाए।
Mahabharata: द्रौपदी के इस राज को जान दंग रह गए थे पांडव, भगवान कृष्ण भी नहीं कर सकें थे मदद!
चौसर और जुए की कला
जुए में माहिर: शकुनि चौसर के खेल में अत्यंत निपुण था। महाभारत की कथा के अनुसार, शकुनि जुए के खेल में कभी भी हारता नहीं था। इसका कारण यह था कि उसके पास एक विशेष पासा था, जो उसके पिता सुबल की हड्डियों से बना था। यह पासा उसे जुए में जीत दिलाने के लिए जाना जाता था।
जुए की धोखाधड़ी: शकुनि ने अपने पासे का उपयोग करके जुए में धोखाधड़ी की और अपनी चालाकियों से पांडवों को परेशान किया। इसके माध्यम से उसने कई योजनाओं को अंजाम दिया, जिसमें द्रौपदी का अपमान और पांडवों को वनवास शामिल था।
Mahabharata: द्रौपदी ने मांगा था शिव जी से ऐसा वरदान, 5 की जगह होते 14 पति!
नाम और पहचान
असली नाम: शकुनि का असली नाम सुबलोत्तम था। इस नाम का अर्थ होता है “सुबल का उत्तम पुत्र”, जो उसके पिता सुबल की महानता को दर्शाता है। हालांकि, महाभारत में वह शकुनि नाम से ही प्रसिद्ध हुआ।
कुख्याति: शकुनि की बुद्धि अत्यंत तीक्ष्ण थी, लेकिन उसने अपनी चालाकी और बुद्धि का दुरुपयोग किया। उसकी योजनाओं और चालों ने महाभारत की घटनाओं को एक महत्वपूर्ण मोड़ दिया और उसकी कुटिलता के कारण उसे दुष्ट किरदार के रूप में जाना गया।
Mahabharata युद्ध में दिया साथ लेकिन श्री कृष्ण ने पांडवों को जुआ खेलने से क्यों नहीं रोका
शकुनि का किरदार महाभारत की कहानी में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और उसकी चालाकियों ने कहानी की दिशा को गहराई से प्रभावित किया। उसके द्वारा किए गए कर्म और योजनाएं न केवल दुर्योधन और कौरवों के लिए बल्कि पांडवों के लिए भी महत्वपूर्ण थीं, और उन्होंने महाभारत के युद्ध की नींव रखी।
Disclaimer: इस आलेख में दी गई जानकारियों का हम यह दावा नहीं करते कि ये जानकारी पूर्णतया सत्य एवं सटीक है। पाठकों से अनुरोध है कि इस लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। इंडिया न्यूज इसकी सत्यता का दावा नहीं करता है।