India News (इंडिया न्यूज), Facts About Mahabharat: महाभारत का युद्ध केवल एक धर्मयुद्ध नहीं था, यह ईश्वर द्वारा रचित एक ऐसी लीला थी जिसमें हर पात्र का जन्म, जीवन और मृत्यु पूर्व निर्धारित थी। इस युद्ध में एक ऐसा योद्धा भी था जो केवल 16 वर्ष की आयु में अपराजेय बन गया था – अर्जुन का पुत्र अभिमन्यु। अभिमन्यु को लेकर सबसे बड़ा प्रश्न यही उठता है कि जब वह चक्रव्यूह में फंसा और कौरवों ने मिलकर उसे घेर लिया, तब भगवान श्रीकृष्ण, जो साक्षात नारायण स्वरूप माने जाते हैं, ने उसे बचाने के लिए कुछ क्यों नहीं किया? इस प्रश्न का उत्तर केवल रणनीति में नहीं, बल्कि दिव्य योजना और पूर्व जन्म की कथा में छिपा है।
अभिमन्यु को गर्भ में ही चक्रव्यूह में प्रवेश करने का ज्ञान हो गया था। माता सुभद्रा को श्रीकृष्ण जब चक्रव्यूह की रचना और भेदन की विधि बता रहे थे, तब गर्भस्थ अभिमन्यु केवल प्रवेश की विधि तक ही सुन पाया, क्योंकि सुभद्रा को नींद आ गई थी। परिणामस्वरूप, अभिमन्यु को चक्रव्यूह में प्रवेश का ज्ञान तो था, लेकिन उससे निकलने का तरीका ज्ञात नहीं था।
Facts About Mahabharat: चक्रव्यूह में फंसे अभिमन्यु को आखिर क्यों बचाने तक नहीं आएं थे कृष्ण
महाभारत के युद्ध के दौरान, जब कौरवों ने सात द्वार वाला चक्रव्यूह रचा, अभिमन्यु ने बिना किसी झिझक के उसमें प्रवेश किया और अद्भुत पराक्रम दिखाया। लेकिन कौरवों ने नियमों की अवहेलना करते हुए उसे मिलकर घेर लिया और नृशंसता से उसकी हत्या कर दी।
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इस प्रश्न का उत्तर एक दिव्य कथा में मिलता है, जो श्रीकृष्ण और चंद्रदेव के पुत्र वर्चा से जुड़ा है। वर्चा, जो अत्यंत तेजस्वी और दिव्य आत्मा था, ने पृथ्वी पर अवतार लेने की इच्छा जताई थी ताकि वह धर्म की स्थापना में सहायता कर सके।
लेकिन उसकी माता चंद्रा, इस बात से चिंतित थीं कि उनका पुत्र युद्ध में भाग लेकर मारा न जाए। उन्होंने श्रीकृष्ण से वचन लिया कि उनका पुत्र युद्ध में बहुत लंबे समय तक न टिके और युद्ध प्रारंभ होने के बाद शीघ्र ही स्वर्ग वापस लौट जाए।
श्रीकृष्ण ने वचन दिया कि वर्चा को वह शीघ्र ही अपने लोक वापस बुला लेंगे। यही वर्चा धरती पर अभिमन्यु के रूप में जन्मा।
अभिमन्यु की वीरगति केवल एक सैनिक की मृत्यु नहीं थी, बल्कि यह एक दिव्य आत्मा की वापसी थी। श्रीकृष्ण ने अपने वचन का पालन किया, और अभिमन्यु की मृत्यु ने युद्ध को एक नया मोड़ दे दिया। उसकी वीरगति ने पांडवों को झकझोर कर रख दिया और उन्हें भीतर से आग बबूला कर दिया। यही क्रोध अंततः कौरवों के विनाश का कारण बना।
अभिमन्यु की कथा केवल एक वीर योद्धा की नहीं, बल्कि धर्म, वचन, और नियति की कथा है। श्रीकृष्ण सब जानते थे, लेकिन उन्होंने धर्म और वचन की मर्यादा का पालन किया। अभिमन्यु की वीरगति ने यह सिद्ध कर दिया कि धर्म के लिए बलिदान देने वाले अमर हो जाते हैं, और ऐसे वीरों की गाथा युगों तक लोगों को प्रेरणा देती है।