India News (इंडिया न्यूज), Ramayan Ravan: रावण, राक्षसों का राजा और रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक, अपनी विद्वता और शक्तियों के लिए जाना जाता था। हालांकि वह एक दुष्ट पात्र के रूप में चित्रित किया गया है, उसकी महत्वाकांक्षाएँ और सपने भी काफी दिलचस्प हैं। रावण उन राक्षसों या यूँ कहें उस युग के उन शक्तिशाली राजाओ में था जिसका अंत करना तो दूर उसके समक्ष खड़े रह पाना देवताओं तक के बस्की बात नहीं थी।
न जानें कितने ग्रहो को उसने अपनी मुट्ठी में कर रखा था। बुद्धि में न ही बल में कोई भी समस्त ब्रम्हाण का व्यक्ति उसके आगे टिक नहीं सकता था लेकिन फिर भी अंत तो हर किसी का होना ही था जो भी इस दुनिया में आया हैं उसे एक न एक दिन तो जाना ही हैं। लेकिन वो कहते हैं न हर किसी को कोई न कोई इच्छा जरूर होती हैं ऐसे ही रावण की भी थी तो आज हम रावण के सपनों को विस्तार से समझते हैं क्या थी अपने अंत से पहले रावण की वो 5 इच्छाएं जिन्हे वह पूर्ण का कर सका:
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स्वर्ग की सीढ़ी बनाना: रावण का पहला सपना पृथ्वी से स्वर्ग जाने की एक सीढ़ी बनाना था। इस काम को उसने शुरू भी किया था, लेकिन उसका उद्देश्य स्वर्ग तक पहुँचने की बजाय एक ऐसा मार्ग बनाने का था जो आम लोगों के लिए स्वर्ग तक पहुँचने की सुविधा प्रदान कर सके।
समुद्र का पानी मीठा करना: रावण ने देखा था कि भविष्य में पानी की कमी एक गंभीर समस्या बन सकती है। इसलिए उसने समुद्र के पानी को मीठा करने का सपना देखा था ताकि लोगों को पीने के पानी की कमी का सामना न करना पड़े।
सोने को सुगंधित बनाना: रावण को सोने के आभूषण बहुत पसंद थे। वह चाहता था कि सोने को सूंघकर पहचाना जा सके, जिससे सोने की सुंदरता और मूल्य को बढ़ाया जा सके।
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मदिरा को गंधहीन बनाना: रावण का सपना था कि शराब को गंधहीन बनाया जाए ताकि लोग बिना गंध के भी इसका आनंद ले सकें। इससे वह शराब की गंध से परेशान लोगों को राहत देना चाहता था।
रंगभेद को खत्म करना: रावण ने सोचा था कि रंगभेद एक बड़ी सामाजिक समस्या है। उसकी इच्छा थी कि सभी लोग एक समान रंग के हों, जिससे जाति, रंग या नस्ल के आधार पर भेदभाव न हो।
खून का रंग बदलना: रावण चाहता था कि खून का रंग लाल की जगह सफेद हो, ताकि हत्याएँ करने के बाद भी उनका कोई स्पष्ट निशान न रहे और अपराध छुपा रहे।
रावण के ये सपने उसकी अद्वितीय सोच और कल्पना शक्ति को दर्शाते हैं, हालांकि उनकी ये इच्छाएँ और योजनाएँ धर्म और नैतिकता की दृष्टि से विवादास्पद थीं। रावण की इच्छाएँ उसके महत्वाकांक्षाओं और शक्तियों को दर्शाती हैं, लेकिन अंततः उसकी दुष्टता और अहंकार ने उसे विनाश की ओर ले जाकर उसके जीवन को समाप्त कर दिया।
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