India News (इंडिया न्यूज़), Garud Puran Story: हमारे धर्म शास्त्रों में मांसाहारी भोजन को तामसिक भोजन कहा गया है। ऐसा माना जाता है कि मांसाहारी भोजन बुद्धि को भ्रष्ट करता है। आजकल लोग अज्ञानता के कारण मांसाहारी भोजन खाना पसंद करते हैं। शाकाहारी लोगों को मांसाहारी लोग घास खाने वाले कहते हैं। लेकिन श्री कृष्ण कहते हैं कि मांसाहारी भोजन कभी भी उचित नहीं हो सकता। यहां जानें श्री कृष्ण ऐसा क्यों कहते हैं?
क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा
बाल्यकाल में एक दिन श्री कृष्ण यमुना के किनारे बैठकर बांसुरी बजा रहे थे। उस समय एक हिरण दौड़ता हुआ आया और श्री कृष्ण के पीछे छिप गया। हिरण को डरा हुआ देखकर श्री कृष्ण ने उससे पूछा कि तुम इतने डरे हुए क्यों हो? तभी एक शिकारी भी वहां पहुंच गया। तब उस शिकारी ने श्री कृष्ण से कहा कि यह हिरण मेरा शिकार है, इसे मुझे दे दो। तब श्री कृष्ण ने कहा कि यह हिरण तुम्हारा कैसे हो सकता है? सबसे पहले तो किसी भी जीव पर उसका अपना स्वयं अधिकार होता है। तब शिकारी ने कहा कि मैं इस हिरण को पकाकर खा लूंगा, मुझे कोई सलाह मत दो और चुपचाप हिरण को मुझे सौंप दो।
श्री कृष्ण ने शिकारी को समझाया कि किसी भी जीव को मारना और खाना पाप है। तुम नहीं जानते कि मांस खाना पाप है या पुण्य। श्री कृष्ण की बात सुनकर शिकारी ने कहा कि मैंने कभी वेदों का अध्ययन नहीं किया। फिर मैं कैसे जान सकता हूं कि मांस खाना पाप है या पुण्य। राजा भी शिकार करते हैं, क्या उन्हें पाप नहीं लगता? उसके बाद श्री कृष्ण ने एक कहानी के माध्यम से शिकारी को समझाया।
मगध देश की कथा
कथा के अनुसार, एक बार मगध राज्य में बहुत बड़ा अकाल पड़ा। अकाल के कारण उस वर्ष मगध में अन्न का उत्पादन नहीं हुआ। राजा मन ही मन सोचने लगे कि यदि इस समस्या का शीघ्र समाधान नहीं हुआ तो प्रजा भूख से मर जाएगी। तब उन्होंने अपने सभी सलाहकारों को सभा भवन में बुलाया। राजा ने सभी से पूछा कि इस समस्या से निकलने का सबसे सरल उपाय क्या है?
तभी एक मंत्री खड़ा हुआ और बोला महाराज इस समय सबसे सस्ता और अच्छा भोजन मांस ही हो सकता है। चावल, गेहूं आदि उगाने में बहुत समय लगता है और लागत भी अधिक है। लेकिन मगध का प्रधानमंत्री चुप था। राजा के पूछने पर उसने कहा महाराज मेरे अनुसार मांस न तो सबसे सस्ता है और न ही सबसे अच्छा खाद्य पदार्थ है। मैं इस विषय पर अपनी राय आपको कल बता पाऊंगा, मुझे आज समय चाहिए। राजा ने प्रधानमंत्री की बात मान ली और उन्हें अगले दिन आने को कहा गया।
दो तोले मांस की कीमत
फिर उसी रात वो उस मंत्री के घर पहुंचा, जिसने राजा से कहा था कि मांस सबसे अच्छा खाद्य पदार्थ है। प्रधानमंत्री ने मंत्री को बताया कि राजा शाम को बीमार पड़ गए हैं। उनकी हालत बहुत खराब है। डॉक्टर ने कहा है कि अगर किसी बलवान आदमी का दो तोला मांस मिल जाए तो राजा जल्द ही ठीक हो जाएंगे। आप राजा के सबसे करीबी हैं और आप अपने शरीर से दो तोला मांस देकर राजा को अभी बचा सकते हैं। अगर आप चाहें तो मैं इन दो तोले मांस के बदले में आपको एक लाख सोने के सिक्के भी दे सकता हूं। इसके साथ ही मैं आपके नाम पर एक बड़ी जागीर भी बनाऊंगा।
प्रधानमंत्री की बातें सुनते ही वह तुरंत घर के अंदर गया और एक लाख सोने के सिक्के लेकर प्रधानमंत्री के पास पहुंचा। एक लाख सोने के सिक्के प्रधानमंत्री को देते हुए उसने कहा, महाराज, इस सोने के सिक्के से किसी और का मांस खरीद लीजिए और मुझे जीवनदान दीजिए। उसके बाद प्रधानमंत्री एक-एक करके सभी मंत्रियों के घर गए और सभी से दो तोला मांस देने को कहा। कोई भी मंत्री मांस देने को तैयार नहीं हुआ। इसके अलावा, सभी ने प्रधानमंत्री को एक-एक लाख स्वर्ण मुद्राएं दीं।
मांस खाना पाप है या नहीं?
अगले दिन सभी मंत्री समय से पहले राज दरबार में पहुंच गए। सभी जानना चाहते थे कि राजा स्वस्थ हैं या नहीं। कुछ देर बाद राजा आए और अपने सिंहासन पर बैठे। राजा को स्वस्थ देखकर सभी मंत्री हैरान रह गए। उसके बाद प्रधानमंत्री ने राजा के सामने एक करोड़ स्वर्ण मुद्राएं रख दीं। राजा ने प्रधानमंत्री से पूछा कि आपके पास इतना धन कहां से आया? तब प्रधानमंत्री ने कहा महाराज मैंने यह सारा धन दो तोला मांस के बदले में इकट्ठा किया है। सभी मंत्रियों ने अपनी जान बचाने के लिए यह कीमत चुकाई है। अब आप ही बताएं महाराज मांस सस्ता है या महंगा?
राजा को प्रधानमंत्री की बात समझ में आ गई। तब मगध के राजा ने लोगों से मेहनत करने का अनुरोध किया। कुछ दिनों बाद लोगों की मेहनत से मगध के खेत फसलों से लहलहाने लगे और खाद्यान्न संकट भी दूर हो गया। यह कहानी सुनने के बाद उस शिकारी ने मांस खाना छोड़ दिया और शिकार करना भी बंद कर दिया।
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