India News (इंडिया न्यूज), Maa Seeta: करीब 500 साल लंबे विवाद के बाद अब अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है। इस विवाद का अंत और एक नए युग की शुरुआत हो चुकी है। रामभक्तों को अब बस इंतजार है कि रामलला अपने नए मंदिर में कब विराजमान होंगे। आज हम आपको राम मंदिर से जुड़े एक ऐसे तथ्य के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं। दरअसल, राम मंदिर के फैसले के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ‘सीता की रसोई’ का जिक्र किया था। आखिर यह ‘सीता की रसोई’ क्या है और राम मंदिर के संदर्भ में इसका क्या महत्व है? आइए जानते हैं।

सीता की रसोई: एक विशेष मंदिर

सीता की रसोई अपने नाम के अनुसार कोई विशेष रसोई घर नहीं है। यह राम मंदिर परिसर में स्थित एक मंदिर है, जो राम जन्मभूमि के उत्तर-पश्चिमी हिस्से में मौजूद है। इस मंदिर में भगवान श्रीराम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न और उनकी पत्नियों सीता, उर्मिला, मांडवी और सुकीर्ति की मूर्तियों से सजा एक विशेष स्थान है।

इस मंदिर में प्रतीकात्मक रूप से रसोई के बर्तन रखे गए हैं, जिनमें चकला-बेलन और अन्य रसोई में इस्तेमाल होने वाले बर्तन शामिल हैं। यह प्रथा दर्शाती है कि नए घर में आई वधु रस्म के तौर पर परिवार के सभी सदस्यों के लिए खाना तैयार करती थी। हालांकि, मान्यता के अनुसार माता सीता ने यह रस्म नहीं निभाई थी।

सीता की रसोई का धार्मिक महत्व

इस रसोई का महत्व माता अन्नपूर्णा के मंदिर जैसा ही है। मान्यता है कि माता सीता ने भी इस रसोई में पंच ऋषियों को भोजन करवाया था, जिससे वे समस्त लोक की अन्नपूर्णा मानी जाती हैं। रसोई के अलावा अयोध्या में सीता माता का ‘जानकी कुंड’ भी भक्तों के लिए महत्वपूर्ण है।

जानकी कुंड

अयोध्या में रामघाट पर स्थित जानकी कुंड के बारे में प्रचलित है कि माता सीता इसी कुंड में स्नान करती थीं। यह स्थान भी भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है।

इस प्रकार, सीता की रसोई और जानकी कुंड, दोनों ही अयोध्या में धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। राम मंदिर के निर्माण के साथ-साथ ये स्थान भी भक्तों के लिए विशेष महत्व रखते हैं और इनकी पूजा-अर्चना की जाती है।

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