India News(इंडिया न्यूज), Jagannath Rath Yatra: जगन्नाथ रथ यात्रा एक प्रमुख हिंदू त्यौहार है जो उड़ीसा राज्य के पुरी शहर में मनाया जाता है। इस दिन भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र, और बहन सुभद्रा, तीन रथों में बैठकर अपने मंदिर से बाहर निकलते हैं और गुंडिचा मंदिर जाते हैं, जिसे भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर कहा जाता है। इस यात्रा के पीछे कई धार्मिक और पौराणिक कारण हैं:

गुंडिचा मंदिर की मान्यता:

गुंडिचा मंदिर को भगवान जगन्नाथ की मौसी का घर माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा रथ यात्रा के दौरान अपनी मौसी के घर जाते हैं और वहां सात दिनों तक रहते हैं। इस दौरान भक्तजन उन्हें अपने करीब से देख सकते हैं और उनकी पूजा कर सकते हैं।

कृष्ण और बलराम का वृंदावन जाना:

एक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान कृष्ण (जगन्नाथ) और बलराम (बलभद्र) अपनी बहन सुभद्रा के साथ रथ पर बैठकर वृंदावन गए थे। यह यात्रा उनकी ननिहाल (मामा-मामी का घर) जाने का प्रतीक है। जगन्नाथ रथ यात्रा इस यात्रा का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व करती है।

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भक्तों की सेवा:

यह भी माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों के प्रति अपनी श्रद्धा और सेवा दिखाने के लिए रथ यात्रा करते हैं। रथ यात्रा के दौरान भगवान का दर्शन करना बेहद शुभ माना जाता है, और यह अवसर भक्तों को भगवान के साथ निकटता का अनुभव कराने का एक तरीका है।

सामाजिक और धार्मिक एकता:

रथ यात्रा का उद्देश्य सामाजिक और धार्मिक एकता को बढ़ावा देना भी है। इस यात्रा में विभिन्न वर्गों और समुदायों के लोग भाग लेते हैं और भगवान के प्रति अपनी भक्ति और श्रद्धा प्रकट करते हैं।

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भगवान के आम जन से मिलन:

यह यात्रा भगवान के भक्तों के बीच आने और उनकी समस्याओं को सुनने का प्रतीक है। भगवान जगन्नाथ का रथ खींचना और उन्हें मार्गदर्शन करना भक्तों के लिए एक महान पुण्य माना जाता है।

जगन्नाथ रथ यात्रा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत बड़ा है, और यह त्यौहार भगवान जगन्नाथ के भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है।

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