India News (इंडिया न्यूज़), Jagannath Rath Yatra 2024: उड़ीसा की पूरी में भगवान जगन्नाथ का मंदिर चार धाम में सबसे पवित्र माना जाता है। मानता है कि यहां पर भगवान श्री कृष्ण का हृदय स्थापित है। वैसे तो आपने कई मंदिर देखें होंगे जहां पर भगवान श्री कृष्णा और राधा रानी साथ में विराजमान होते हैं, लेकिन जगन्नाथ ही एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां पर भगवान अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलराम के साथ विराजमान है। ऐसे कई किस्से है जगन्नाथ से जुड़े जिनके बारे में लोग नहीं जानते जिनमें से एक किस्सा विमला देवी से जुड़ा है।
पूरी को मोक्ष का स्थान कहा जाता है। वहां पर एक मान्यता है कि भगवान जगन्नाथ विमला देवी के प्रसाद खाने के बाद ही प्रसाद ग्रहण करते हैं। कहा जाता है कि जब तक विमला देवी को प्रसाद का भोग नहीं लगता। तब तक जगन्नाथ भगवान प्रसाद नहीं चखते इसके साथ ही बता दे कि विमला और बिमला दोनों ही तरह के नाम का इस मंदिर के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
पुरी की देवी विमला के बारे में बताएं तो वह भगवान जगन्नाथ के समान ही पूजी जाती हैं। देवी विमला माता सती का आदि शक्ति यानी की माता पार्वती स्वरूप मानी जाती हैं। जब भगवान विष्णु की बहन है, पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवी विमला जगन्नाथ पुरी की अधिष्ठात्री देवी भी है। यहां पर मंदिर परिसर के अंदर ही विमला शक्तिपीठ है, भगवान जगन्नाथ को चढ़ाए जाने वाले पवित्र भोग को पहले विमल को अर्पित किया जाता है उसके बाद ही जगन्नाथ भगवान को ग्रहण कराया जाता है।
उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर का भोग सभी चार धाम के भोग में सबसे खास माना जाता है। पुरी के अंदर विष्णु जी के भोजन करने की मान्यता के कारण यह है। महाभोग महाप्रसाद के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसको लेकर एक कथा भी काफी प्रचलित है, जिसमें जगन्नाथ जी यानी विष्णु जी का भोग स्वयं लक्ष्मी जी बनाते हैं।
वही इस महाभोग को लेकर एक और कहानी है जिसमें कहा जाता है कि नारद मुनि ने इस भोग को चखने के लिए काफी जतन किए थे और आखिर में मां लक्ष्मी के वरदान के कारण उन्हें महाभोग को चखने का मौका मिला था। ऐसे में माता ने उनसे कहा था कि भोग को चखने की बात वह अपने तक ही रखें।
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जब नारद मुनि ने प्रसाद को चखा तो इसी दौरान उन्हें कैलाश पर जाना पड़ा। जहां पर महादेव, यमराज, इंद्र सहित कई देवता सभा करने के लिए उपस्थित हुए थे। ऐसे ही बातों बातों में नारद मुनि से जगन्नाथ के महाभोग को चखने की बात निकल गई। जिसके बाद महादेव ने उनसे प्रसाद लिया और उसका आनंद लिया भोलेनाथ को प्रसाद इतना पसंद आया कि वह खुशी के मारे तांडव करने लगे, कैलाश टगमगानें लगा और देवी पार्वती ने पूछा कि भगवान शिव की प्रसन्नता का कारण क्या है? तब उन्हें भी महाप्रसाद के बारे में बताया गया।
ऐसे में देवी ने शिवजी से प्रसाद चखने की इच्छा को जाहिर किया लेकिन प्रसाद खत्म हो चुका था। जिस वजह से माता पार्वती गुस्सा हो गई तब उन्होंने कहा कि आपने अकेले ही प्रसाद क्यों चखा। अब आपने प्रसाद चखा है तो पूरा संसार इस खाएगा। रूठी हुई देवी पार्वती शिवजी के साथ अपने भाई जगन्नाथ धाम कि घर पहुंची और उन्होंने लक्ष्मी जी से कहा कि मैं काफी समय बाद मायके आई हूं मुझे भोजन नहीं कराओगी। जगन्नाथ जी उनकी बात को समझ गए। तब देवी पार्वती ने उनसे गुस्से में कहा कि तुम अपने महाभोग को सिर्फ अपने तक ही सीमित क्यों रखते हो? Jagannath Rath Yatra 2024
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जगन्नाथ भगवान ने देवी की बात सुनने के बाद कहा कि माता लक्ष्मी के हाथ से बना प्रसाद खाने के बाद कोई भी अपने पाप पुण्य को अपने से दूर कर सकता है। जिससे संसार का संतुलन बिगड़ जाता इसलिए मैंने प्रसाद को अपने तक सीमित रखा था लेकिन अगर आप कह रही हैं। तो आज से ही मैं इस प्रसाद को सार्वजनिक करता हूं। अब से जगन्नाथ में बनने वाले महाभोग को सबसे पहले आपको अर्पित किया जाएगा उसके बाद ही मैं उसे ग्रहण करूंगा। ऐसे में आप अपनी भक्तों के लिए विमला देवी के स्वरूप में जगन्नाथ धाम में निवास करेंगे।
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