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Jivitputrika Vrat 2021 Puja Vidhi, Muhurat जीवित पुत्रिका व्रत पूजन विधि और शुभ मुहूर्त

Amit Gupta • LAST UPDATED : September 24, 2021, 7:15 am IST

Jivitputrika Vrat 2021 Puja Vidhi, Muhurat: जीवित पुत्रिका व्रत को जितिया व्रत भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में करवाचौथ, सकट चौथ के साथ-साथ यह व्रत भी काफी कठिन माना जाता है। इस दिन श्रद्धापूर्वक जीमूतवाहन की पूजा करने से पुत्र की लंबी आयु होती है। यह व्रत खासकर बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्य में बहुतायत से मनाया जाता है। इस व्रत को महिलाएं निर्जला रहती हैं। यह व्रत इसलिए भी कठिन माना जाता है क्योंकि तीज व्रत में पारण दूसरे दिन सुबह हो जाता है। लेकिन इसमें पारण का समय होता है जिसमें व्रत को खोला जाता है।

Jivitputrika Vrat 2021 क्या है हिंदू धर्म की मान्यता

जितिया व्रत हर साल सावन मास में कृष्ण पक्ष की सप्तमी से लेकर पारण तक की जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि जितिया व्रत से नि:संतान स्त्रियों की गोद जल्दी भर जाती है। इस दिन श्रद्धापूर्वक जीमूतवाहन की पूजा करने से पुत्र की लंबी आयु होती है। अष्टमी के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर जीमूतवाहन की पूजा करती हैं।

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2021 में जीवित पुत्रिका व्रत (Jivitputrika Vrat 2021) कब है

वर्ष 2021 में जितिया का व्रत 28 सितंबर से लेकर 30 सितंबर तक मनाया जाएगा। नवमी के दिन महिलाएं सूर्य देवता को अर्घ्य देकर ही अन्न-जल ग्रहण करती हैं। परंपरा और शास्त्रों के मुताबिक यह व्रत महाभारत काल से ही जुड़ा हुआ। इस लेख में हम आपको बता रहे हैं कि महिलाएं जितिया व्रत पूजा कैसे करें, इसका शुभ मुहूर्त और पूजन विधि क्या है?

महिलाएं संतान की लंबी उम्र और अच्छे स्वास्थ्य के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं। इस व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। इस व्रत को कई जगहों पर जिउतिया भी कहा जाता है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इसे जितिया व्रत भी कहा जाता है। इस व्रत को माताएं संतान प्राप्ति और उनकी लंबी आयु की कामना के लिए रखती हैं। यह व्रत पूरे दिन दिन तक चलता है। इसे सभी व्रतों में कठिन माना जाता है। माताएं अपने संतान की खुशहाली के लिए जितिया व्रत निराहार और निर्जला रखती हैं। इस साल यह पर्व 28 सितम्बर से शुरू होकर 30 सितम्बर तक चलेगा।

जितिया व्रत की पूजन विधि (Jivitputrika Vrat Puja Vidhi 2021)

जितिया व्रत से एक दिन पहले यानी सतमी के दिन स्नान कर खाना होता है। अष्टमी के दिन सुबह-सुबह स्नान कर साफ कपड़े पहनने चाहिए। इसके बाद सूर्य देवता की प्रतिमा पर जल चढ़ाकर सूर्य देव को स्नान कराना चाहिए। स्नान कराने के बाद सूर्य देवता की प्रतिमा को साफ वस्त्र से पोछें और उसके बाद धूप, दीप जलाकर आरती करें। सूर्य देव की आरती के बाद सूर्य देव को प्रसाद चढ़ाकर भोग लगाना चाहिए। अष्टमी तिथि की समाप्ति के बाद सूर्य देवता को अर्ध्य देकर ही पारण करें।

जितिया व्रत का शुभ मुहूर्त (Jivitputrika Vrat Muhurat 2021)

जितिया व्रत के शुभ मुहूर्त के बारे में हम आपको बता रहे हैं। आपके क्षेत्र के अनुसार इसमें थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है। इसलिए हम आपको सलाह दे रहे हैं कि निकटतम मंदिर या पुजारी से एक बार और जानकारी ले लें। जीवित्पुत्रिका व्रत संतान प्राप्ति और उसकी लंबी आयु की कामना के साथ किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान के सभी कष्ट दूर होते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पुण्य कर्मों को अर्जित करके उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु को जीवनदान दिया था, इसलिए यह व्रत संतान की रक्षा की कामना के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत के फलस्वरुप भगवान श्रीकृष्ण संतान की रक्षा करते हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत- 29 सितंबर 2021

अष्टमी तिथि प्रारंभ- 28 सितंबर को शाम – 6 बजकर 16 मिनट से शुरू
अष्टमी तिथि की समाप्ति- 29 सितंबर की रात 8 बजकर 29 मिनट तक

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