India News (इंडिया न्यूज़), Mahabharata Karn: महाभारत काल की यूँ तो कई कहानियां हम आजसे पहले भी सुन चुके हैं लेकिन आज भी कई ऐसी कहानियां हैं जिनसे हम अनजान हैं। महाभारत में कई मुख्य पात्र हैं उन्ही में से एक हैं ‘कर्ण’. कर्ण भी महाभारत काल के उन्ही प्रमुख पात्र में से एक हैं। जिनके दान-पुण्य के किस्सा आज भी गली-गली आपको लोगो की जुबान पर सुनने को मिल जायेंगे।

कारण पांडवो के सबसे बड़े भाई थे लेकिन उनकी सबसे सर्वश्रेष्ठ खूबी ये थी कि वह कभी भी किसी की मदद करने से पीछे नहीं हटते थे। वह हमेशा दान किया करते थे और यही उनकी वह खूबी थी जो उन्हें और भाइयो से अलग बनाती थी।’

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दुनिया की कोई कीमत नहीं हरा सकती थी कर्ण को

कहा जाता हैं कि कर्ण के पास जो कुंडल और कवच था उसमे इतनी शक्तियां थी की दुनिया की कोई भी ताकत उन्हें हरा नहीं सकती थी। तो वही इन शक्तिशाली कुंडल-कवच को एक बार अर्जुन के पिता और देवराज इंद्र ने भी एक बार एक योजना के तहत उनसे मांग लिया था।

अर्जुन ने जब उनका वध किया था तब कर्ण के पास उनके यही कुंडल और कवच नहीं थे और यही मुख्य वजह थी कि कर्ण को मृत्यु के घात उतरना पड़ गया था। लेकिन फिर भी इंद्रराज स्वर्ग में प्रवेश नहीं कर सके थे क्योंकि उन्होंने कर्ण से वो कुंडल-कवच धोके और नीतियों द्वारा हासिल किये थे। ऐसे में हारकर इन्द्रराज ने इन्हे एक समुन्द्र किनारे छिपा दिया था जिसके बाद से सूर्यदेव और समुन्द्र देव खुद इनकी रक्षा करते हैं।

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पुरी में छिपे हैं ये शक्तिशाली कवच-कुंडल?

ऐसा कहा जाता हैं कि कवच-कुंडल को पुरी के निकट कोणार्क में छिपाया गया हैं। और कोई भी इस तक ना तो आजतक पहुँच पाया हैं और ना कभी पहुँच पायेगा। क्योकि इसका सीधा-सीधा परिणाम यही निकलेगा की अगर ये किसी के भी हाथ लग जाते हैं तो वह इसका निश्चित ही दुरूपयोग करेगा।

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