Kartik Purnima 2021 हिंदू धर्म में पूर्णिमा का विशेष महत्व है। वैसे तो हर माह पड़नी वाली पूर्णिमा का अपना-अपना महत्व होता है। लेकिन जो साल में सबसे बड़ी पूर्णिमा होती है वह माघी पूर्णिमा, गुरू पूर्णिमा, शरद पूर्णिमा व कार्तिक पूर्णिमा। कहते हैं कार्तिक माह की पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा और गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। पुराणों में इस दिन को स्नान, व्रत और तप की दृष्टि से मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है।
कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान करके उगते सूर्य को अर्घ्य देना बेहद फलदायी माना जाता है। इसके अलावा, इस दिन दान-पुण्य का विशेष महत्व है। कहते हैं देव उठनी एकादशी के दिन देवता जागृत होते हैं और कार्तिक पूर्णिमा के दिन वे यमुना तट पर स्नान कर दिवाली मानाते हैं। इसीलिए इसे देव दिवाली भी कहते हैं। इसी दिन संध्याकाल को मत्स्यावतार हुआ था। इस पूर्णिमा को ब्रह्मा, विष्णु, शिव, अंगिरा और आदित्य आदि ने महापुनीत पर्व प्रमाणित किया है।
कार्तिक मास में श्री हरि जल में ही निवास करते हैं। पूर्णिमा के दिन स्नान करना अति उत्तम माना गया है। श्रद्धालु लोग जहां यमुना में स्नान करने पहुंचते हैं वहीं गढ़गंगा, हरिद्वार, कुरुक्षेत्र तथा पुष्कर आदि तीर्थों में स्नान करने के लिए भी जाते हैं।
इस दिन शालिग्राम के साथ ही तुलसी की पूजा, सेवन और सेवा करने का महत्व है। इस कार्तिक माह में तुलसी पूजा का महत्व कई गुना माना गया है। इस दिन तीर्थ पूजा, गंगा पूजा, विष्णु पूजा, लक्ष्मी पूजा और यज्ञ एवं हवन का बहुत ही महत्व है। अत: इसमें किए हुए स्नान, दान, होम, यज्ञ और उपासना आदि का अनंत फल होता है। इस दिन तुलसी के सामने दीपक जरूर जलाएं।
इस दिन नदी में दीप प्रवाहित करते हैं या तट पर दीपक जलाते हैं। इस दिन सभी देवता गंगा नदी के घाट पर आकर दीप जलाकर अपनी प्रसन्नता को दशार्ते हैं। इसीलिए इस दिन दीपदान का महत्व है। नदी, तालाब आदि जगहों पर दीपदान करने से सभी तरह के संकट समाप्त होते हैं और जातक कर्ज से भी मुक्ति पा जाता है।
कार्तिक पूर्णिमा को घर के मुख्यद्वार पर आम के पत्तों से बनाया हुआ तोरण अवश्य बांधे और दीपावली की ही तरह चारों और दीपक जलाएं।
इस दिन दानादिका दस यज्ञों के समान फल होता है। इस दिन दान का भी बहुत ही ज्यदा महत्व होता है। अपनी क्षमता अनुसार अन्न दान, वस्त्र दान और अन्य जो भी दान कर सकते हो वह करें।
इस दिन देवी लक्ष्मी और विष्णु की संध्याकाल में पूजा की जाती है और सत्यनारायण भगवान की कथा पढ़ने और सुनने से लाभ मिलता है।
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