India News (इंडिया न्यूज़), Mahabharat Amba: महाभारत के अनुसार, देवी अम्बा को एक हार भगवान कार्तिकेय ने दिया था। यह हार उस व्यक्ति को शक्तिशाली बना देता था जो भीष्म का वध कर सकता था। यह हार प्राप्त करने के बाद अम्बा ने इसे राजा द्रुपद को दिया, लेकिन राजा द्रुपद को भी इस हार से कोई फायदा नहीं हुआ।

फिर इस हार को द्रुपद की पुत्री शिखंडी ने धारण किया, जो पिछले जन्म में अम्बा ही थीं। शिखंडी को अम्बा का पुनर्जन्म माना जाता है और उनका जीवन उद्देश्य भीष्म का अंत करना था। महाभारत के युद्ध में, जब अर्जुन ने भीष्म पर शिखंडी को ढाल बनाकर तीर चलाए, तो भीष्म ने अपने अस्त्र-शस्त्र नीचे कर दिए, क्योंकि वे शिखंडी को एक स्त्री (अम्बा के रूप में) मानते थे और स्त्रियों पर हमला नहीं करना चाहते थे। इसी कारण, शिखंडी की उपस्थिति में अर्जुन ने भीष्म पर प्रहार किया और उन्हें परास्त किया।

इस प्रकार, अम्बा के रूप में शिखंडी और भगवान कार्तिकेय का दिया हुआ हार भीष्म की मृत्यु में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

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महाभारत की यह कथा बेहद महत्वपूर्ण और दिलचस्प है, क्योंकि यह न केवल युद्ध की रणनीतियों और पराक्रम की बात करती है, बल्कि इसमें कर्म, पुनर्जन्म, और भाग्य की अवधारणाओं को भी दर्शाया गया है।

अम्बा की कहानी:

अम्बा, काशी की राजकुमारी थीं, और उनकी दो बहनें अंबिका और अंबालिका थीं। भीष्म पितामह ने इन तीनों बहनों का स्वयंबर से अपहरण किया था ताकि वे अपने भाई विचित्रवीर्य से उनका विवाह कर सकें। लेकिन अम्बा का मन पहले से ही शाल्वराज में था, और भीष्म से यह निवेदन करने पर कि वे उसे शाल्वराज को वापस भेज दें, भीष्म ने उसे स्वतंत्र कर दिया।

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लेकिन जब अम्बा शाल्वराज के पास वापस गईं, तो उन्होंने उसे अस्वीकार कर दिया, यह कहते हुए कि वह अब भीष्म द्वारा जीती हुई मानी जाती है। इस अपमान के बाद, अम्बा ने भीष्म से बदला लेने की ठानी।

भगवान कार्तिकेय और हार:

अम्बा ने तपस्या की और भगवान शिव से वरदान मांगा कि वह भीष्म का वध कर सके। शिव ने उसे यह वरदान दिया कि वह अगले जन्म में शिखंडी के रूप में जन्म लेगी, जो भीष्म का वध करेगा। इसके साथ ही, भगवान कार्तिकेय ने अम्बा को एक हार दिया, जो भीष्म के विनाश का कारक हो सकता था। अम्बा ने इसे बहुत से राजाओं को सौंपने की कोशिश की, लेकिन किसी ने भी इस हार को धारण करने का साहस नहीं किया।

शिखंडी और भीष्म का अंत:

अंततः, अम्बा ने राजा द्रुपद के यज्ञ से पुनर्जन्म लेकर शिखंडी के रूप में जन्म लिया। शिखंडी ने उस हार को धारण किया और महाभारत के युद्ध में अर्जुन के साथ युद्ध में भाग लिया। भीष्म ने शिखंडी को पूर्व जन्म में अम्बा के रूप में पहचाना और उसे एक स्त्री समझकर उसके खिलाफ युद्ध करने से इनकार कर दिया। इस अवसर का लाभ उठाते हुए अर्जुन ने भीष्म पर बाणों की वर्षा की, जिससे भीष्म गंभीर रूप से घायल हो गए और अंततः उनकी मृत्यु हो गई।

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अम्बा और शिखंडी की कहानी के महत्व:

अम्बा की यह कहानी महाभारत के महाकाव्य में न्याय, बदले और भाग्य के महत्व को रेखांकित करती है। यह कहानी दिखाती है कि कैसे अम्बा ने भीष्म के खिलाफ अपने अपमान का बदला लेने के लिए पुनर्जन्म लिया। यह घटना महाभारत की उन कई कथाओं में से एक है जो कर्म और पुनर्जन्म की अवधारणा को समझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

महाभारत का यह पहलू इस महाकाव्य को और भी गहरा और आकर्षक बनाता है, क्योंकि इसमें केवल युद्ध और राजनीति की बात नहीं होती, बल्कि मानवीय भावनाओं, नैतिकता और धर्म की भी गहरी व्याख्या की गई है।

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