India News (इंडिया न्यूज़), Kashi Vishwanath Temple: काशी वो शहर जो स्वयं महादेव को बेहद प्रिय है। मान्यताओं के मुताबिक कहा जाता है की ये शहर महादेव के त्रिशूल पर टिका है। वहां जानें वाले दर्शनार्थी आज भी इस शहर की अद्वितीय शक्ति को महसूस करते हैं तो आइए आज हम आपको भारत के सबसे प्राचीन शहर से संबंधित कुछ जरूरी जानकारियों से रूबरू कराते हैं और बताएंगे कि आखिर क्यों काशी, माता पार्वती और भगवान शिव को इतना प्रिय है।
- क्यों पार्वती-शिव को प्रिय है काशी
- ब्रम्हा-रिपुंजय की वजह से काशी नहीं आए भोले
क्यों पार्वती-शिव को प्रिय है काशी
भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी भी है जिसे काशी विश्वनाथ के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक कथाओं की मानें तो जब भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था तो भोले कैलाश पर्वत पर रहते थें लेकिन माता पार्वती अपने माता-पिता के साथ रहती थी। एक बार की बात है जब भगवान शिव पार्वती मां से मिलने आते हैं तो माता उनसे उनके साथ रहने का आग्रह करती हैं और तब भोलेनाथ पार्वती माता को लेकर काशी आ जाते हैं और यहीं बस जाते हैं।
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ब्रम्हा-रिपुंजय की वजह से काशी नहीं आए भोले
काशी खंड में वर्णित एक कथा के अनुसार एक बार पद्म कल्प के दौरान पूरी दुनिया सुखे कि चपेट में आ गया था। पूरे विश्व को त्रस्त होता देखकर भगवान बेहद चिंतित हो गए और इस समस्या का समाधान ढूंढने लग गए। तभी भगवान शिव की नजर रिपुंजय पर गई जो कि गहरी तपस्या में लीन थें उनकी तपस्या से भगवान प्रसन्न हो गए और उनका नाम दिवोदास रख दिया और उनसे अनुरोध किया कि वो विश्व को अपने अधीन कर मानवता की रक्षा करें।
दिवोदास इसके लिए तैयार हो जाते हैं लेकिन ब्रम्हा जी के समक्ष एक शर्त रख देते हैं जिसके अनुसार वे बिना हस्तक्षेप के शांतिपूर्वक शासन करना चाहते हैं। भगवान इसके लिए तैयार हो जाते हैं लकिन वो समझ नहीं पा रहें थें कि वो ये बात भगवान शिव से कैसे बोलेंगे क्योंकि ये स्थान भोलेनाथ को बेहद प्रिय था लेकिन फिर सही समय पाकर ब्रम्हा जी ये बात भगवान शिव के समक्ष रखी और भगवान शिव ब्रम्हा जी की बात से कभी इंकार नहीं कर पाए। यही वजह थी कि वो ब्रम्हा जी की आज्ञा का पालन करने के लिए वापस स्वर्ग लोक चलें जाते हैं और फिर कभी लौट कर वापस काशी नहीं आ पाते हैं।
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