India News (इंडिया न्यूज), Kawad Yatra 2024: सावन शुरू हो चुके हैं। यह महीना देवों के देव महादेव के लिए बेहद खास है। इस महीने में भगवान शिव और मां पार्वती की खास पूजा अर्चना की जाती है। इसके साथ ही विधिपूर्वक सोमवार का व्रत भी किया जाता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से मनचाहे वर की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही विवादित महिलाएं अखंड सौभाग्य पाने के लिए हर मंगलवार को मां मंगला गौरी का व्रत सकती है। वही कुंवारी महिलाएं इस दिन मनचाहे वर्ग के लिए व्रत करती हैं। हिंदू धर्म में सावन का महीना महादेव की कृपा पाने के लिए रखा जाता है। यह महीना खास भोले की पूजा करने के लिए समर्पित है।
- कांवड़ यात्रा के बारे में
- कब हुई कांवड़ यात्रा की शुरुआत
- क्यों करते हैं शिवलिंग का अभिषेक
कांवड़ यात्रा के बारे में
हर साल की तरह इस साल सावन के महीने में भी लाखों में शिव भक्त गंगा नदी से जल लेकर शिवलिंग में जल अभिषेक करते हैं। वही शिव के भक्तों को कावड़िया या भोला भी कहा जाता है। कावड़ यात्रा में भोले पैदल और कुछ गाड़ियों में यात्रा करते हैं। हर साल सावन के महीने में शुरू हुई कावड़ यात्रा इस महीने की त्रयोदशी तिथि यानी सावन शिवरात्रि पर भगवान शिव को जल चढ़ाने का विधान है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि कब शुरू हुई थी कावड़ यात्रा? अगर नहीं जानते तो इस आर्टिकल में हम आपको कावड़ यात्रा के बारे में पूरी कथा बताते हैं।
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कब हुई कांवड़ यात्रा की शुरुआत
पौराणिक कथा के माने तो श्वेता युग में श्रवण कुमार के अंधी माता-पिता ने हरिद्वार में नहाने की इच्छा जताई थी। ऐसे में उनके पुत्र ने अपने माता-पिता को अपने कंधे पर बिठाकर गंगा स्नान करवाया था। इसके बाद उन्हें वहां से गंगाजल लेकर भगवान शिव का अभिषेक किया था। कहा जाता हैं की यह कावड़ यात्रा की शुरुआत श्रवण कुमार ने की थी।
इसके अलावा एक और कथा है जिसमें कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान निगले विष को पीने के बाद शिव का गला जलने लगा था। जिसके बाद देवी देवताओं ने गंगाजल से भगवान का अभिषेक कर उनके विष के प्रभाव से उन्हें मुक्ति दिलाई थी। ऐसा माना जाता है कि तभी से कावड़ यात्रा की शुरुआत हुई थी।
क्यों करते हैं शिवलिंग का अभिषेक
इसके अलावा अगर कथाओं की मानें तो समुद्र मंथन से निकले विष पीने के बाद शिव जी का कंठ नीला पड़ गया था जिसकी वजह से उन्हें नीलकंठ भी कहा जाता है। ऐसा कहते हैं की पूरी दुनिया की रक्षा करने के लिए शिव ने वह विष पिया था और इस निष के प्रकोप को कम करने के लिए शिव पर ठंडा जल चढ़ाया जाता है। इस अभिषेक से प्रसन्न होकर शिव अपने भक्तों की मनचाही मनोकामनाओं को पूरी करते हैं।
इस साल सावन का महीना 22 जुलाई से 19 अगस्त तक है। इस साल कावड़ यात्रा 22 जुलाई से शुरू होगी और शिवरात्रि पर खत्म होगी सावन महीने की शिवरात्रि इस बार 2 अगस्त को है। इस दिन सभी कावड़ यह शिवलिंग पर जल चढ़ाएंगे।
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