धर्म

Hanuman Jayanti 2023: हनुमान जन्मोत्सव पर्व पर सुंदरकांड का पाठ करने पर रखें इन बातों का ध्यान

इंडिया न्यूज़: (Hanuman Jayanti 2023 Sundarkand Path Niyam) आज देशभर में हनुमान जन्मोत्सव पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। बता दें कि हिन्दू धर्म में हनुमान जी की आराधना को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। हनुमान जी की उपासना के लिए आज का दिन सर्वाधिक उत्तम है। मान्यता है कि आज के दिन विधि-विधान से हनुमान जी की उपासना करने से और विशेष रूप से सुंदरकांड का पाठ करने से साधकों की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है। साथ ही जीवन में धन, ऐश्वर्य, बल और बुद्धि की प्राप्ति होती है। लेकिन अगर आप आज घर पर सुंदरकांड का पाठ कर रहें हैं तो पहले इससे जुड़े कुछ महत्वपूर्ण नियमों का ध्यान जरूर रखें।

हनुमान जन्मोत्सव पर सुंदरकांड का पाठ करने पर रखें इन बातों का ध्यान

  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुंदरकांड का पाठ सुबह और शाम 4 बजे के बाद किया जाना चाहिए। 12 बजे के बाद इसका पाठ न करें। ऐसा करना अशुभ माना जाता है और साधक को पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है।
  • पाठ शुरू करने से पहले एक साफ चौकी रखें और फिर उस पर लाल रंग का नया वस्त्र बिछाएं। फिर उसपर हनुमान जी की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। ऐसा करने के बाद घी का दीपक जलाएं।
  • सुंदरकांड का पाठ शुरू करने से पहले श्री राम और हनुमान जी का आवाहन करें। इस बात का भी विशेष ध्यान रखें कि सुंदरकांड पाठ को बिना खत्म किए बीच में ना उठें और न ही किसी से बातचीत करें।
  • सुंदरकांड पाठ के दौरान मन में किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचार न आने दें और पूर्ण भक्तिभाव से हनुमान जी की उपासना करने के बाद प्रभु को फल, गुड़-चना, बूंदी या बेसन के लड्डू का भोग अर्पित करें।
  • पाठ खत्म होने के बाद हनुमान जी की आरती करना ना भूलें। ऐसा इसलिए क्योंकि आरती के बिना कोई भी पूजा पूर्ण नहीं मानी जाती है।
  • आरती के बाद हनुमान जी को चढ़ाया गया भोग परिवार के सदस्यों में बांटे।

सुंदरकांड पाठ करने से मिलते हैं ये लाभ

शास्त्रों में बताया गया, प्रत्येक मंगलवार और हनुमान जन्मोत्सव जैसे शुभ अवसर पर सुंदरकांड का पाठ करने से न सिर्फ साधक को हनुमान जी का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि उन्हें मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त होती है। इसके साथ सुंदरकांड का पाठ करने से व्यक्ति बुराई का मार्ग त्यागकर अच्छाई के पथ पर चल पड़ता है। इसके साथ कुंडली में उत्पन्न हो चुके प्रतिकूल ग्रहों के प्रभाव से भी साधक को छुटकारा मिल जाता है।

Nishika Shrivastava

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