धर्म

इन 5 राशियों के लिए गोल्डन पीरियड से कम नहीं होगी राहु की ये चाल…केतु के गोचर में शुभ समय की होगी शुरुआत!

India News (इंडिया न्यूज), Ketu Gochar 2025: ज्योतिष में केतु को एक छाया ग्रह माना गया है, जो राहु के समान फल देता है। केतु का रंग धूर्म वर्ण है, और इसका वाहन कबूतर माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में केतु का बहुत महत्व है, विशेषकर जन्मकुंडली में इसके स्थान और स्थिति के आधार पर व्यक्ति के जीवन पर इसका प्रभाव होता है। केतु को संपत ग्रह भी कहा जाता है और यह मंगल की तरह फल देता है। इसका अनुकूल होना व्यक्ति को राजयोग दिलाने में सक्षम है, जबकि प्रतिकूल स्थिति में यह कई तरह की समस्याएं पैदा कर सकता है।

केतु का वर्तमान गोचर और उसके प्रभाव

वर्तमान में केतु कन्या राशि में गोचर कर रहा है और 18 मई 2025 तक इसी राशि में रहेगा। केतु का एक राशि में लगभग 18 महीनों तक रहना माना जाता है। 18 मई 2025 के बाद केतु सिंह राशि में संध्या 04:45 बजे गोचर करेगा। सिंह राशि का स्वामी सूर्य होता है, और सूर्य के राशि में केतु का गोचर शुभ नहीं माना जाता है। इस गोचर का प्रभाव विशेष रूप से मेष, कन्या, वृश्चिक, और मकर राशि के जातकों के लिए सावधानी का कारण हो सकता है।

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केतु की अनुकूल स्थिति के लाभ

केतु की अनुकूल स्थिति व्यक्ति के जीवन में कई शुभ और लाभकारी परिणाम ला सकती है। जन्मकुंडली में केतु पहले, चौथे, सातवें, या दसवें भाव में हो, तो यह व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा, और सफलता दिलाता है। यदि केतु पर मित्र ग्रहों की दृष्टि हो तो व्यक्ति को माता-पिता से सुख प्राप्त होता है और समाज में अच्छे मित्रों का सहयोग मिलता है। जीवन में समस्त सुख और सफलता की प्राप्ति होती है।

जन्मकुंडली में अशुभ केतु का प्रभाव

जन्मकुंडली में केतु द्वादश भाव या लग्न भाव में हो, और यदि 01, 04, 05, 06, 07, 10, 11, 12 राशियों का हो, तो यह व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक प्रभाव डालता है। ऐसे व्यक्ति अक्सर मानसिक तनाव में रहते हैं, उच्च शिक्षा में रुकावटें आती हैं, व्यापार में घाटा होता है, नौकरी में दिक्कतें होती हैं, और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन जातकों के जीवन में कई तरह की समस्याएं बनी रहती हैं, और माता-पिता को भी कष्ट का सामना करना पड़ता है।

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केतु के कारण उत्पन्न बीमारियाँ

केतु के प्रतिकूल होने पर कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएँ उत्पन्न होती हैं, जैसे:

  • हड्डियों की समस्याएं
  • पैरों में दर्द
  • मूत्र रोग
  • जोड़ों का दर्द
  • कान से संबंधित समस्याएं
  • गुप्तांगों में समस्या
  • स्वप्नदोष
  • आकस्मिक बीमारियाँ
  • केतु को अनुकूल बनाने के उपाय

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केतु के प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • कम्बल का दान करें।
  • मंगलवार के दिन सफेद तिल का दान करें।
  • लहसुनिया रत्न धारण करें।
  • गरीबों को भोजन कराएं।

केतु का प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गंभीर हो सकता है, लेकिन उपरोक्त उपायों को अपनाकर इसके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है और जीवन में सकारात्मकता लाई जा सकती है।

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Disclaimer: इंडिया न्यूज़ इस लेख में सलाह और सुझाव सिर्फ सामान्य सूचना के उद्देश्य के लिए बता रहा हैं। इन्हें पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी सवाल या परेशानी हो तो हमेशा अपने डॉक्टर से सलाह लें।

Prachi Jain

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